Kisan Diwas 2025: मंत्री थे चौधरी चरण सिंह…फिर भी पत्नी के हिस्से आई फटी धोती
Kisan Diwas 2025: उत्तर प्रदेश की सत्ता के गलियारों में एक नाम गूंजता था, चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh)। वह वन मंत्री थे। सत्ता, सम्मान और स ...और पढ़ें
Publish Date: Tue, 23 Dec 2025 10:09:30 AM (IST)Updated Date: Tue, 23 Dec 2025 01:01:45 PM (IST)
चौधरी चरण सिंह।HighLights
- यूपी की सत्ता के गलियारों में एक नाम गूंजता था, चौधरी चरण सिंह
- उनके लिए ईमानदारी कोई भाषण नहीं थी, रोज का अभ्यास थी
- कैबिनेट की बैठक में जाने के लिए फटी हुई धोती थी उनके पास
मनोज दुबे, नईदुनिया, इंदौर। साल 1966। उत्तर प्रदेश की सत्ता के गलियारों में एक नाम गूंजता था, चौधरी चरण सिंह। वह वन मंत्री थे। सत्ता, सम्मान और सुविधाएं सब उनके पास थीं। लेकिन उनके घर की सुबहें उतनी ही सादी थीं, जितनी किसी किसान के घर की।
एक दिन उनकी बड़ी बेटी सत्यवती, आगरा से बच्चों को लेकर लखनऊ आईं। सुबह का वक्त था। पिता-बेटी आपस में हालचाल पूछ रहे थे। बातचीत के दौरान सहज सी बात निकली कि सत्यवती वन विभाग की जीप से आई थीं।
सरकारी गाड़ी के निजी इस्तेमाल का किराया कितना बनता है
उन्होंने पेट्रोल का पैसा दे दिया था, पर यह सुनते ही चौधरी साहब के चेहरे की मुस्कान गंभीरता में बदल गई। उन्होंने तुरंत अपने निजी सचिव तिलक राम शर्मा को बुलाया।
आवाज में कोई ऊंच-नीच नहीं थी, बस सिद्धांत था। उन्होंने निजी सचिव से कहा, पता लगाइए, सरकारी गाड़ी के निजी इस्तेमाल का किराया कितना बनता है। पूरा हिसाब निकालिए और मेरी तरफ से जमा कर दीजिए। दोपहर तक यह काम हो जाना चाहिए।
उनके लिए ईमानदारी कोई भाषण नहीं थी, रोज का अभ्यास थी
यह किस्सा बाद में तिलक राम शर्मा ने अपनी किताब ‘My Days with Chaudhary Charan Singh’ में दर्ज किया। लेकिन इस कठोर ईमानदारी की सबसे बड़ी कीमत कोई और चुकाता था। और वह थीं उनकी पत्नी, गायत्री देवी। सरकारी फोन से निजी बात नहीं होती। निजी काम के लिए सरकारी गाड़ी नहीं चलती।
राजनीतिक कार्यक्रमों का खर्च भी घर से जाता। नतीजा यह कि घर का बजट हमेशा तना रहता। कई बार जरूरतें चुपचाप टल जातीं। यहां तक कि कपड़े भी।
जब चौधरी साहब ने धोती के दो टुकड़े कर दिए
एक दिन की बात है। चौधरी साहब नहाने बाथरूम में गए। वहां एक धोती रखी थी। पुरानी, घिसी हुई, फटी हुई। वह ठिठक गए। हल्के व्यंग्य और गहरे दर्द के साथ बोले, आज कैबिनेट की बैठक में यही फटी धोती पहनकर जाऊं क्या? इतना कहकर उन्होंने धोती के दो टुकड़े कर दिए। उस पल में सिर्फ कपड़ा नहीं फटा था, उसमें एक पत्नी की चुप कुर्बानी भी झलक रही थी।
ईमानदारी इतिहास बन गई और सादगी एक मिसाल
चौधरी चरण सिंह सिर्फ ईमानदार नहीं थे, बेहद मेहनती भी थे। सुबह हल्का नाश्ता कर ठीक 9:30 बजे काउंसिल हाउस पहुंच जाते। रात 9:30 बजे तक वहीं रहते। बीच में न आराम, न भोजन। महीनों तक यही दिनचर्या चलती। खासतौर पर गर्मियों में। दिन में बस चाय-बिस्कुट या तरबूज। पूरा खाना सिर्फ रात में।सत्ता उनके पास थी, लेकिन विलास कभी नहीं आया। उनकी ईमानदारी इतिहास बन गई और उनकी सादगी एक मिसाल।