गुरुवार को शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ (Ramesh Pokhriyal Nishank) कोरोना महामारी से लड़ने के लिए देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ बैठक की। इसमें आईआईटी, ट्रिपल आईटी विभाग और अन्य संस्थानों के निदेशकों ने हिस्सा लिया। बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने सबसे पहले कोरोना की वजह से इन संस्थानों में मरने वाले कर्मचारियों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। शिक्षा मंत्री निशंक ने सभी संस्थानों के निदेशकों से कहा कि इस महामारी ने हमसे हमारे प्रियजनों एवं मित्रों को छीन लिया है, लेकिन अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम आईआईटी, आईआईआईटी, एनआईटी, आईआईएसईआर, आईआईएससी के छात्रावासों में रह रहे 21,360 विद्यार्थियों की सुरक्षा, वायरस का रोकथाम और परिसरों को कोरोना मुक्त बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान प्रतिष्ठित संस्थानों ने कम लागत वाले पोर्टेबल वेंटिलेटर, सस्ती कोविड टेस्ट किट, सैनिटाइजेशन के लिए ड्रोन, विशेषीकृत डिजिटल स्टेथोस्कोप, मेक-शिफ्ट आइसोलेशन वार्ड के लिए डिस्पोजेबल बांस-फर्नीचर और ‘संक्रमण प्रूफ फैब्रिक’ का निर्माण किया है। उन्होंने सभी संस्थानों द्वारा किए गए इनोवेशन एवं कोरोना से लड़ाई में किए गए सहयोग की भी प्रशंसा की।
केंद्रीय मंत्री ने सभी शिक्षण संस्थानों के निदेशकों से कहा कि आज देश में कोरोना से लड़ने के लिए हर व्यक्ति, संस्थान और सामाजिक वर्ग को आगे आकर अपना योगदान देना होगा। इसकी शुरूआत हम व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तरों पर कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि आप सभी संस्थान स्थानीय प्रशासन के सम्पर्क में बने रहें और उन्हें जो भी सहयोग आप दे सकते हैं, वह दें। उदाहरण के लिए अगर आप सभी के पास छात्रावास की सुविधाएं हैं, तो उन्हें अस्थायी तौर पर आइसोलेशन केंद्रों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त आप सभी अपने तकनीक और डाटा मैनेजमेंट सेंटर से स्थानीय प्रशासन को ऑनलाइन समाधान उपलब्ध करा सकते हैं।
इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New National Education Policy 2020) के बारे में भी बात की और कहा कि कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बावजूद हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन का काम तय समय सीमा में पूरा हो जाए।