करोड़ों के NRHM घोटाले में पहली सजा, कोर्ट ने डॉक्टर को भेजा जेल
जज पवन कुमार तिवारी ने नेशनल रुरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) घोटाले के एक मामले में बुधवार को पहली सजा सुनाई।
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Publish Date: Wed, 17 Jan 2018 10:15:55 PM (IST)
Updated Date: Wed, 17 Jan 2018 11:01:26 PM (IST)

गाजियाबाद। विशेष सीबीआई कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार तिवारी ने नेशनल रुरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) घोटाले के एक मामले में बुधवार को पहली सजा सुनाई। लखनऊ स्वास्थ्य विभाग में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के नाम पर हुए 1,24,500 रुपये के घोटाले में दोषी पाए गए नेत्र सर्जन डॉ. विजय त्रिपाठी को छह महीने दस दिन की सजा सुनाने के साथ दो लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
सीबीआइ के वरिष्ठ लोक अभियोजक बीके सिह ने बताया कि घोटाला 2009 से 2011 के बीच हुआ था। एनआरएचएम योजना के तहत दो वर्ष में लखनऊ स्वास्थ्य विभाग को 52.79 लाख की धनराशि दी गई। विभाग ने लखनऊ के एनजीओ ब्रह्मश्री नेत्र चिकित्सालय को दो वर्षों में मोतियाबिद के आपरेशन के लिए 34.50 लाख रुपये दिए। यह चिकित्सालय लखनऊ में कानपुर रोड पर है।
सीबीआइ जांच में सब फर्जी-
अस्पताल के चिकित्सालय के नेत्र सर्जन डॉ. विजय त्रिपाठी ने 172 फर्जी मरीजों के मोतियाबिद ऑपरेशन की सूची सौंपकर भुगतान ले लिया। सीबीआइ जांच होने पर पूरा मामला फर्जी पाया गया। सीबीआइ इंस्पेक्टर मुकेश वर्मा ने बताया कि डॉ. त्रिपाठी ने जो 172 मरीजों नाम हस्ताक्षर अंगूठा बनाकर विभाग को सौंपा था।
जांच और सत्यापन में पूरी सूची फर्जी पाई गई। सीबीआइ ने आरोप पत्र में डॉ. विजय त्रिपाठी को 1,24,500 रुपये के घोटाले का आरोपी पाया था। अभियुक्त डॉक्टर ने पिछले दिनों कोर्ट में जुर्म कबूल कर कम से कम सजा देने की अपील की थी।
सीबीआइ कोर्ट से वारंट के बाद जुलाई 2014 में डॉ. विजय त्रिपाठी ने आत्मसमर्पण किया था। फरवरी 2015 में जमानत मिलने पर डासना जेल से रिहा किया गया था। त्रिपाठी सजा सुनाए जाने से पूर्व छह माह 12 दिन की जेल काट चुका है। इस तरह अभियुक्त सजा से दो दिन ज्यादा जेल में रह चुका है, इसलिए सजा के बाद अभियुक्त को जेल में नहीं रहना पड़ेगा।