शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। राजनीति में सक्रिय होने की ऊहापोह के बीच पाटीदार नेता नरेश पटेल सोमवार को दिल्ली पहुंचे, उनके पीछे पीछे कांग्रेस के 3 पाटीदार विधायक भी दिल्ली जा धमके। मंगलवार को राहुल गांधी की दाहोद गुजरात में सभा से पहले कांग्रेस नरेश पटेल को अपने पाले में लाने के प्रयास में है, उधर भाजपा भी हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठी है।
गुजरात के पाटीदार नेता एवं खोडलधाम के मुख्य ट्रस्टी नरेश पटेल का ऊंट किस करवट बैठेगा फिलहाल कहना मुश्किल है लेकिन चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किेशोर को साफ मना कर चुकी कांग्रेस नरेश पटेल को लेकर अभी भी उम्मीद से भरी है। सोमवार को नरेश पटेल राजकोट से दिल्ली रवाना हुए, हालांकि उनके दिल्ली से वाराणसी जाने की भी चर्चाएं हैं लेकिन पीछे पीछे कांग्रेस के 3 पाटीदार विधायक, ललित वसोया, ललित कगथरा व प्रताप दुधात भी दिल्ली पहुंच गये। माना जा रहा है कि ये विधायक कांग्रेस आलाकमान व नरेश पटेल के बीच मध्यस्थ बनेंगे ताकि उन्हें कांग्रेस में लाया जा सके। कांग्रेस एवं नरेश पटेल के बीच प्रशांत किशोर एक और कडी बने थे लेकिन अब उनके पार्टी से दूर चले जाने के बाद नरेश खुद तोल मोल में जुटे हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस नरेश पटेल को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनने की पेशकश कर चुकी है लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा कांग्रेस घोषित नहीं करेगी। भाजपा नेता भी बराबर नरेश पटेल के संपर्क में हैं, चाहते हैं कि नरेश भाई राजनीति में आना चाहें तो भाजपा में ही शामिल हों।
इसी बीच 2017 में कांग्रेस के टिकट पर मणीनगर अहमदाबाद से चुनाव लडने वाली श्वेता ब्रम्हभट्ट ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया। श्वेता ने कहा पार्टी में सडन है तथा 360 डिग्री परिवर्तन से ही कुछ हो सकता है लेकिन पार्टी नेता इसके लिए कतई तैयार नहीं है। उधर गुजरात कांग्रेस के प्रभारी डॉ रघु शर्मा ने कहा है कि भाजपा चाहे तो उनके और विधायक ले जाए लेकिन इन सीटों पर कांग्रेस फिर विजेता होगी। खेडब्रम्हा सीट विधायक की नहीं कांग्रेस की परंपरागत सीट है, उनके भाजपा में चले जाने के बाद भी कांग्रेस फिर जीतकर दिखाऐगी।