अहमदाबाद। गुजरात में संचालित सभी स्कूलों में अब गुजराती भाषा को अनिवार्य रूप से पढाना होगा, सरकार बजट सत्र में एक विधेयक लाकर कक्षा एक से 8वीं तक की सभी माध्यम व बोर्ड की स्कूलों में यह नियम लागू करेगी। सरकार पेपर लीक जैसी घटनाओं से निपटने के लिए भी एक कानून बनाएगी जिसमें इस तरह के अपराध के लिए 10 वर्ष तक की सजा व 1 करोड़ रु के जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा।
गुजरात सरकार के प्रवक्ता ऋषीकेश पटेल ने बताया कि राज्य में संचालित सभी माध्यम व बोर्ड की स्कूलों में कक्षा एक से 8वीं तक में अब गुजराती भाषा को अनिवार्य रूप से पढ़ाना होगा। गुजरात उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने भी इस मामले में सरकार से गुजराती भाषा सभी छात्र-छात्राओं को अनिवार्य रूप से पढ़ाने की व्यवस्था करने को कहा था। गुरुवार से शुरू हो रहे बजट सत्र में सरकार यह विधेयक लाएगी।
सरकार पेपर लीक मामलों से निपटने के लिए सख्त कानून लाएगी, विधानसभा में गुजरात सार्वजनिक परीक्षा (अनियमितता नियंत्रण हेतु) विधेयक-2023 लाया जाएगा जिसमें पेपर लीक करने वालों को सात 10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा। इसके साथ एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान होगा। राज्य में एक के बाद एक प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।
पिछले महीने की 29 जनवरी को पेपर लीक होने के कारण जूनियर क्लर्क की परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। विधेयक में 22 प्रावधान हैं इनके तहत संगठित होकर पेपर लीक करने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सकेगी। इसमें 7 से 10 साल की सजा के साथ 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का जिक्र है। इस विधेयक में पेपर खरीदने वालों को भी कानूनी कार्रवाई के दायरे में लाने की बात कही गई है।
अगर विधानसभा से यह विधेयक बिना किसी संशोधन के पास होता है तो मोटे तौर पेपर लीक करने वालों को 10 वर्ष की अधिकतम कैद के 1 करोड़ रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा। परीक्षार्थी पेपर लीक करने में दोषी पाया जाता है तो वह अगले दो साल तक कोई परीक्षा नहीं दे सकेगा।