
डिजिटल डेस्क। भारत में दर्द और बुखार के लिए बिना डॉक्टरी सलाह के पेनकिलर लेना आम बात है, लेकिन अब केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। लोगों के स्वास्थ्य को सर्वोपरि रखते हुए, स्वास्थ्य मंत्रालय ने 100 मिलीग्राम (mg) से अधिक मात्रा वाली निमेसुलाइड की 'ओरल इमीडिएट-रिलीज' दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। यह आदेश 'ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940' की धारा 26A के तहत जारी किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, हाई डोज वाली निमेसुलाइड दवाओं का सेवन मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है। सबसे बड़ी चिंता इसके लिवर पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों (Liver Toxicity) को लेकर है। अंतरराष्ट्रीय मेडिकल रिपोर्ट्स और रिसर्च में यह साबित हुआ है कि निमेसुलाइड के अधिक सेवन से लिवर फेलियर, गंभीर पेट दर्द और उल्टी जैसे लक्षण हो सकते हैं।
सरकार ने यह फैसला ड्रग्स तकनीकी सलाहकार बोर्ड (DTAB) की सिफारिशों के आधार पर लिया है। मंत्रालय का तर्क है कि जब बाजार में दर्द निवारण के लिए पैरासिटामोल और इबुप्रोफेन जैसे अधिक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प उपलब्ध हैं, तो मरीजों को जोखिम भरी हाई-डोज दवाओं के खतरे में डालना उचित नहीं है।
निमेसुलाइड को लेकर सरकार का रुख लंबे समय से सख्त रहा है। सरकार ने 2011 में 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस दवा को प्रतिबंधित किया गया था। इसके बाद जनवरी 2025 में पशुओं के लिए निमेसुलाइड की सभी दवाओं पर रोक लगा दी गई थी और अब इंसानों के लिए भी इसकी 100mg से अधिक की खुराक पर बैन लगा दिया गया है।
मार्केट रिसर्च फर्म 'फार्माट्रैक' के आंकड़ों के अनुसार, भारत में निमेसुलाइड दवाओं का कारोबार लगभग 497 करोड़ रुपये का है, जिसमें पिछले एक साल में 11% की वृद्धि देखी गई थी। इस प्रतिबंध से उन छोटी कंपनियों को आर्थिक नुकसान हो सकता है जिनकी निर्भरता इसी साल्ट पर अधिक थी। हालांकि, बड़ी कंपनियों पर इसका असर कम होगा क्योंकि उनके पास दवाओं का व्यापक पोर्टफोलियो है।
सरकार की अधिसूचना के बाद अब दवा कंपनियों को निम्नलिखित कदम उठाने होंगे-