दुनिया में महामारी के इतिहास काफी पुराना है, लेकिन जैसे-जैसे विज्ञान ने प्रगति की, इंसान ने अपने अदृश्य शत्रु वायरस और बैक्टीरिया के जरिए फैलने वाली बीमारियों पर काबू पाना सीख लिया। सबसे पहले बार 1796 में ब्रिटिश डॉक्टर एडवर्ड जेनर में स्मॉलपॉक्स बीमारी के लड़ने के लिए वैक्सीन तैयार करके दुनिया को रोगों से लड़ने की राह दिखाई थी। उसके बाद ऐसा सिलसिला चल पड़ा कि अभी तक दुनिया भर में कई बीमारियों के वैक्सीन तैयार कर लिए गए हैं। कोरोना महामारी के खिलाफ भी अब वैक्सीन तैयार कर ली गई है। आइए जानते हैं दुनिया की सबसे पहली वैक्सीन से लेकर कोरोना महामारी की वैक्सीन तैयार करने तक का दुनिया का सफर कैसा रहा है -
1796 - ब्रिटिश डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने सबसे पहले स्मॉलपॉक्स बीमारी का वैक्सीन तैयार किया था।
1853 - अमेरिका में पहली बार वैक्सीन को लेकर कानून तैयार किया गया। अमेरिका में स्मॉलपॉक्स वैक्सीन सभी को देना अनिवार्य किया गया। 1898 में कानून को अपडेट भी किया गया था।
1885 - कुत्ते के काटने से होने वाली रैबीज बीमारी से बचने के लिए फ्रैंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने रैबीज वैक्सीन की खोज की गई।
1921 - टीबी की बीमारी से बचने के लिए BCG के टीके की खोज हुई।
1923 - डिप्थीरिया की बीमारी से बचने के लिए वैक्सीन बनाई गई।
1926 - टिटनेस की बीमारी से बचने के लिए वैक्सीन का आविष्कार हुआ।
1936 - मैक्स थैलर और उनके सहयोगी ने पहली बार यलो फीवर (पीत ज्वर) से बचने के टीके का ईजाद किया गया।
1944 - जापानी इनसेफेलाइटिक बुखार से कई लोगों की मौत के बाद वैक्सीन की खोज की गई।
1945 - पहली बार फ्लू वैक्सीन कैम्पेन शुरू किया गया
1960 - अल्बर्ट सैबिन के पोलियोवायरस के टीके को अमेरिका में लाइसेंस मिला। इस वैक्सीन से टाइप-1 पोलियोवायरस से सुरक्षा मिली। बाद में पोलिया वायरस के टाइप-2 और टाइप-3 को भी लाइसेंस मिल गया। वर्ष 1963 के टीका में सभी तीन प्रकार शामिल थे।
1963 - खसरा के टीके को लाइसेंस प्राप्त हुआ। खसरे के टीके का सबसे पहले बंदरों और उसके बाद मनुष्यों में प्रयोग किया गया। जॉन एंडर्स और उनके सहकर्मियों ने अपने खसरे के टीके की घोषणा। अमेरिका में 1963 में खसरे की टीके को लाइसेंस मिला और अगले 12 वर्षों में देश में करीब 19 मिलियन खुराक दी गई। इसके बाद 1969 में रुबेला वायरस के टीके को भी मान्यता दे दी गई।
1971 - अमेरिकी सरकार ने खसरा, गलसुआ, और रुबेला के संयुक्त टीके (MMR) को लाइसेंस किया। यह टीका इन तीनों रोगों की रोकथाम में बहुत प्रभावी रहा।
1977 - न्यूमोकोकल टीके को मंजूरी दी गई। यह एक मल्टी-सेरोटाइप टीका था, जिसे पेंसिल्वेनिया युनिवर्सिटी के एमडी रॉबर्ट अस्ट्रिअन (1916-2007) वर्षों तक अध्ययन के बाद तैयार किया था। इस टीके के साथ ही स्वाइन फ्लू के टीके को लेकर भी अमेरिकी में काम शुरू किया गया।
1986 - हेपाटाइटिस B के रिकम्बिनेंट वैक्सिन को लाइसेंस दिया गया। यह हेपाटाइटिस B टीका रिकम्बिनेंट DNA विधियों से तैयार पहला मानव टीका था। इस नए टीके को इसलिए विकसित किया गया क्योंकि शोधकर्ता पिछले हेपाटाइटिस B टीका की समस्याओं से बचना चाहते थे। इसके बाद 1995 में हेपाटाइटिस-ए और चिकनपॉक्स के टीके भी तैयार कर लिए गए।
2002 - पूरा यूरोप पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया
2009 - एच1एन1 के खिलाफ वैक्सीन बनाने में सफलता मिली।
अगस्त 2020 - पूरा अफ्रीकी महाद्वीप पोलियो से मुक्त घोषित किया गया
दिसंबर 2020 - कोरोना वायरस के खिलाफ फाइजर, ऑक्सफोर्ड और कुछ अन्य कंपनियों ने वैक्सीन बनाने में सफलता पाई।