ओम बाजपेयी, मेरठ। अदरक और शहद लाइलाज माने जाने वाले कैंसर पर काबू पाने में बेहद कारगर है। इनमें पाए जाने वाले कंपाउंड का जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की शोध छात्रा ने प्रयोगशाला में कैंसर पीड़ित कोशिकाओं पर प्रयोग किया तो चमत्कारिक परिणाम मिले।
जेएनयू के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की शोध छात्रा उप्र औरय्या निवासी अलका जादौन स्क्रीनिग ऑफ एंटी कैंसर एक्टीविटी ऑफ नेचुरल कंपाउंड विषय पर शोध कर रही हैं। अलका ने बताया कि शहद, अदरक और अरहर में पाइनो स्ट्रोबिन नाम का नेचुरल कंपाउंड पाया जाता है। उन्होंने चार साल के शोध में कई प्रकार के कैंसर की कोशिकाओं पर इसके प्रभाव का आकलन किया।
कैंसरग्रस्त कोशिकाओं विशेष रूप से ब्लड कैंसर से ग्रस्त कोशिकाओं की रोकथाम में इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले। कृषि विवि के कृषि जैव प्रौद्योगिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरएस सेंगर ने बताया कि हर्बल प्लांटों के औषधीय गुणों की पड़ताल पर कई शोध कार्य किए जा रहे हैं। अलका यहां की उच्चस्तरीय मोलीक्यूलर लैब का प्रयोग समय-समय पर करती रही हैं। साथ ही उसने यहां इसके परीक्षण कर के दिखाए हैं।
यह मिले परिणाम
पाइनोस्ट्रोबिन कंपाउंड के सैंपल को ब्लडकैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल और लंग कैसर से ग्रस्त कोशिकाओं पर प्रयोग किया गया। अलका ने बताया कि ब्लड कैंसर की पचास प्रतिशत कोशिकाएं 36 घंटे में समाप्त हो गईं। ब्रेस्ट कैंसर की इतनी कोशिकाएं 48 घंटे में मरीं। जबकि सर्वाइकल और लंग कैंसर से ग्रस्त पचास प्रतिशत कोशिकाओं को इस कंपाउंड ने 72 घंटे में समाप्त किया।
इस तरह करता है नियंत्रण मानव शरीर सूक्ष्म कोशिकाओं से बना है। प्रत्येक कोशिका में पाया जाने वाला डीएनए (डीआक्सी न्यूक्लियोटाइड) विभाजित होकर नई-नई कोशिकाएं बनाता है। जब कोई व्यक्ति कैंसर की चपेट में होता है तो डीएनए तेजी से विभाजित होने लगता है और बहुत कम समय में कोशिकाओं का गुच्छा बन जाता है जो बाद में ट््यूमर का रूप ले लेता है।
प्रयोगशाला में कैंसरग्रस्त कोशिकाओं पर जब नेचुरल कंपाउंड का प्रयोग किया जाता है तो वह डीएनए से जुड़कर उसका विभाजन रोक देता है। यह कंपाउंड डीएनए को विभाजित करने वाले प्रोटीन से संबद्ध हो जाते हैं और उनका कार्य बंद करता है। इस प्रक्रिया से कोशिकाओं का गुच्छा नहीं बन पाता। इसके अतिरिक्त यह कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करने का काम करता है।
पौधों में भी कारगर
अदरक और शहद में पाया जाने वाला कंपाउंड फसलों में कीटनाशकों के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। जैविक खेती में रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग पूरी तरह प्रतिबंधित होता है। ऐसे में किसान इस कंपाउंड का प्रयोग करते हैं।
पाइनोस्ट्राबिन का इन विट्रो (लैब में टेस्ट) कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं पर किया गया है। अगले चरण में जानवरों और मरीजों पर इसके प्रभाव को आंका जाएगा।
- अलका जादौन।
जेएनयू की शोध छात्रा ने विभाग की लैब में भी हर्बल कंपाउंड की टेस्टिग की है। शोध के रिजल्ट से प्रोत्साहित होकर विश्वविद्यालय में भी ऐसे औषधीय गुणों वाले पौधों की पहचान की जा रही है जो कैंसर समेत जटिल रोगों के इलाज में कारगार हो सकते हैं।
- डा. आरएस सेंगर, विभागाध्यक्ष, कृषि जैव प्रौद्योगिक विभाग, कृषि विवि, मेरठ।