कोलकाता। शहद से मुंह के कैंसर के घाव का कारगर इलाज संभव है। आइआईटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों की टीम ने एक चिकित्सकीय पट्टी विकसित की है। रेशम की बनी इस पट्टी पर शहद का लेप लगा हुआ है। इसे ईजाद करने वाली टीम में केमिकल इंजीनियर, बायो-टेक्नोलॉजिस्ट एवं डॉक्टर शामिल हैं।
आइआईटी खड़गपुर के स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी के लैब में किए गए प्रयोग में सामने आया है कि यह औषधीय पट्टी न सिर्फ कैंसर के घाव को तेजी से भरती है बल्कि फिर से कैंसर होना भी रोकती है।
पट्टी की मेंब्रेन शीट को रेशम से इसलिए तैयार किया गया है क्योंकि यह लचीला होता है और मानव शरीर के साथ जैविक रूप से अनुकूल है। टीम में शामिल मोनिका राजपूत ने बताया कि शहद को उसकी घाव सुखाने की क्षमता, कैंसर रोधी एवं एंटी बैक्टीरियल गुणों के लिए जाना जाता है।
इस पट्टी में शहद के इस्तेमाल का विचार टीम में शामिल ज्योतिर्मय चटर्जी ने दिया है। सह-अनुसंधानकर्ता नंदिनी भंडारू ने बताया कि मुंह का कैंसर होने पर बहुत से मरीजों की सर्जरी कर प्रभावित हिस्से को काटकर निकाल दिया जाता है, जिससे वहां एक घाव हो जाता है, जिसमें कैंसर की कोशिकाएं रह जाती हैं।
इससे फिर से कैंसर होने की आशंका बनी रहती है। हमारी तकनीकी इस तरह के घावों को भरने मे मदद करती है। वर्तमान समय में बाजार में मुंह के कैंसर के घाव के लिए कोई वैसी चिकित्सकीय पट्टी उपलब्ध नहीं है, जो घाव को तेजी से सुखा सके और इसे दोबारा होने से रोक सके।
इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है और इस अनुसंधान रिपोर्ट को अमेरिकन केमेस्ट्री सोसायटी के बायोमैटेरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
इस तकनीक का वाणिज्यिक तौर पर इस्तेमाल से पहले इसका जानवरों एवं उसके बाद मानव शरीर पर प्रयोग किया जाएगा। इंडियन डेंटल एसोसिएशन के मुताबिक देश में प्रत्येक छह घंटे में मुंह के कैंसर से एक व्यक्ति की मौत होती है।