प्लॉट खरीदने से पहले जरूर चेक करें रजिस्ट्री, नहीं तो पछताएंगे; जानें पूरा ऑनलाइन प्रोसेस
आजकल प्लॉट खरीदते समय धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में खरीदारों को सावधानी बरतते हुए रजिस्ट्री, ऑनरशिप, खसरा-खतौनी और टैक्स रिकॉर्ड की ऑनलाइन जांच अवश्य करनी चाहिए। सही दस्तावेजों की पुष्टि से निवेश सुरक्षित रहता है और भविष्य में किसी कानूनी विवाद से बचा जा सकता है।
Publish Date: Wed, 10 Sep 2025 11:39:11 AM (IST)
Updated Date: Wed, 10 Sep 2025 11:39:11 AM (IST)
प्रॉपर्टी के दस्तावेज चेक करने का आसान तरीका। (फोटो- एआई जनरेटेड)HighLights
- प्लॉट खरीदने में धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं।
- रजिस्ट्री अब ऑनलाइन वेबसाइट से आसानी से चेक करें।
- ऑनरशिप वेरिफिकेशन प्रॉपर्टी खरीद में बेहद जरूरी है।
डिजिटल डेस्क। वैश्विक अर्थव्यवस्था में फैली अस्थिरता के बीच लोगों का रुझान प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट को लेकर बढ़ रहा है। वह उसे सबसे सुरक्षित इन्वेस्टमेंट के रूप में देखते हैं। इसमें प्लॉट खरीदने का चलन बढ़ा है। इसमें अच्छे रिटर्न की संभावना होती है। इसके अलावा खुद के अनुसार घर भी बनाया जा सकता है, जिसको रेंट पर भी उठाया जा सकता है।
हालांकि, इसमें फ्रॉड की भी संभावनाएं बढ़ गई हैं, जिससे खरीददारों को सतर्क रहने की जरूरत है। अक्सर लोग जल्दबाजी कर रजिस्ट्री और ऑनरशिप की जांच नहीं करते हैं, जिससे लाखों-करोड़ों तक का नुकसान हो जाता है। ऐसे में इसकी जांच बहुत जरूरी है।
हम इस आर्टिकल में विस्तार से बताएंगे कि कैसे आप ऑनलाइन रजिस्ट्री और ऑनरशिप की जांच कर सकते हैं...
ऑनलाइन रजिस्ट्री चेक करने का तरीका
- पहले प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री जांचने के लिए लोगों को तहसील या सब-रजिस्टार ऑफिस का चक्कर लगाना पड़ता था। अब यह प्रक्रिया बहुत आसान हो गई है। आप ऑनलाइन घर पर ही रजिस्ट्री की जांच कर सकते हैं।
- हर राज्य की सरकार ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्ट्री डिटेल्स देखने का ऑप्शन उपलब्ध कराया है। जैसे उत्तर प्रदेश में भूलेख (upbhulekh.gov.in), मध्य प्रदेश में mpbhulekh.gov.in और बिहार में biharbhumi.bihar.gov.in
- खरीदार को केवल प्लॉट की लोकेशन, रजिस्ट्री नंबर या मालिक का नाम भरना होता है। कुछ ही सेकंड में स्क्रीन पर पूरी जानकारी मिल जाती है। इसमें साफ दिखता है कि प्लॉट किसके नाम पर है और उस पर कोई लोन या विवाद लंबित तो नहीं है।
ऑनरशिप और अन्य दस्तावेजों की जांच जरूरी
- रजिस्ट्री के साथ-साथ ऑनरशिप वेरिफिकेशन भी बेहद अहम है। इसके जरिए यह पता लगता है कि कि जो व्यक्ति खुद को मालिक बता रहा है, वह वास्तव में मालिक है कि नहीं।
- कई मामलों में असली मालिक कोई और होता है। बेचने वाला दूसरा व्यक्ति निकल आता है। ऐसी धोखाधड़ी से बचने के लिए खरीदार को सरकारी पोर्टल पर जाकर ऑनरशिप रिकॉर्ड, ई-खाता, खसरा-खतौनी और टैक्स पेमेंट हिस्ट्री जरूर चेक करनी चाहिए।