रंजन दवे, जोधपुर । राजस्थानी भाषा को लेकर आ रही बाधाएं यदि हट जाए तो राजस्थान का संगीत और उचाईयो पर पहुच जाए, यह कहना है अंतरराष्ट्रीय स्तर के लोक कलाकार मामे खान लंगा का। अंतराष्ट्रीय सिंगर मामे खान का नया राजस्थानी गाना गौरी हाल ही में रिलीज हुआ है जिसने की बहुत कम समय में खूब प्रसिद्धि बटोरी है। मुंबई से जोधपुर पहुंचे मामे खान ने नई दुनिया के संवाददाता रंजन दवे से विशेष बातचीत में कहा कि राजस्थानी लोक संगीत में अपार सामर्थ्य है, लेकिन भाषा की बंदिशों की वजह से अभी भी वह अपने मुकाम से महरूम है। जबकि समूचा बॉलीवुड राजस्थानी लोक संस्कृति के इर्द गिर्द ही मंडरा रहा है।
मूल रूप से सरहदी जिले बाड़मेर जैसलमेर के छोटे से गांव सत्तो से तालुक रखने वाले मामे खान का चौधरी,... बोले तो मिठो लागे .. सहित कई अन्य राजस्थानी गानो ने बड़ी ऊंचाइयां हासिल की है। ऐसे में हाल ही में उनकी एक एल्बम गोरी का सॉन्ग रिलीज हुआ है जिसमें की गीत संगीत के साथ अभिनय में भी मामे खान के साथ जोधपुर की अदाकारा स्वाति जांगिड़ ने भूमिका निभाई है।
फ़िल्म के संगीत के बारे में मामे खान ने जानकारी देते हुए बताया कि गौरी के गीत का फ़िल्मकन उदयपुर में हुआ है, वही इस के संगीत में लोक वादयो के रूप में हारमोनियम, ढोलक,मौचांग,,कामायचा, सारंगी आदि का प्रयोग हुआ है।
पारंपरिक और लोक धुनों पर आधारित गोरी के गीत दर्शकों को भी काफी पसंद आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि संगीत के साथ-साथ राजस्थानी संस्कृति को यहां की सुंदरता को दृश्यों के माध्यम से दिखाने का भी उनके द्वारा हमेशा ही प्रयास किया जाता है यही वजह है की इन संगीत में राजस्थान के अलग-अलग जिलों की सुंदरता को दर्शाने के साथ गाने में दिखाया गया है।
समन्वित प्रयास से ही उठेगा संगीत
मामे खान ने कहा कि राजस्थान संगीत को ऊपर उठाने के लिए समन्वित प्रयास करने की जरूरत है । वर्तमान में गानो को लेकर रेप हिपहॉप के साथ गानों में फ्यूजन होना चाहिए लेकिन फ्यूजन के नाम पर कन्फ्यूजन होना संगीत जगत के लिए बहुत घातक है। यह फ्यूजन आपको शोहरत तो दिला सकता है लेकिन वह लंबे समय तक नहीं चल सकती। पारंपरिक लोक संगीत ही वह धूरी है जिसने म्यूजिक को आज भी जिंदा रखा है।