लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानमंडल के दोनों सदनों में शुक्रवार को चार विधेयक पारित हुए। निवेश परियोजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए रविवार को आयोजित होने वाले भूमि पूजन समारोह से पहले योगी सरकार ने शुक्रवार को विधानमंडल से उप्र राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2019 को पारित कराकर उद्योग जगत को बड़ा संदेश दिया है। विधेयक में ऐसे प्रावधान हैं जिनसे उद्योगों की स्थापना में आड़े आ रही जमीन की दिक्कत को दूर किया जा सकेगा।
राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद सभी विधेयक प्रभावी हो जाएंगे। उप्र राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2019 में यह प्रावधान है कि प्रदेश में खेती की जमीन कृषि और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए पट्टे (लीज) पर दी जा सकेगी। यदि कोई भूमिधर जिसे जमीन हस्तांतरित करने का अधिकार है, यदि वह अपनी जमीन या उसके किसी हिस्से का इस्तेमाल औद्योगिक, वाणिज्यिक और आवासीय प्रयोजनों के लिए करेगा तो उप जिलाधिकारी उसके आवेदन पर इसकी जांच कर उस भूमि को गैर कृषिक घोषित करेगा।
एसडीएम को आवेदन मिलने के 45 दिन के अंदर जमीन को गैर कृषिक घोषित करने के बारे में निर्णय करना होगा। भू-गर्भ जल प्रदूषित करने पर 20 लाख तक जुर्माना उत्तर प्रदेश भू-गर्भ जल (प्रबंधन और विनियमन) विधेयक, 2019 के जरिये सरकार ने भू-गर्भ जल के अंधाधुंध दोहन को रोकने के लिए सख्त कदम उठाया है।
यह विधेयक लागू होने के बाद भू-गर्भ जल उपभोक्ताओं को शुल्क देना होगा। नियमों का उल्लंघन करने पर दो से पांच लाख रुपये तक जुर्माना और कारावास की भी सजा हो सकती है। भू-गर्भ जल प्रदूषित करने पर तीन वर्ष कारावास और दस लाख रुपये से लेकर सात वर्ष कारावास और 20 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। राज्य के प्रतीक चिह्न के अनुचित प्रयोग पर सजा : विधान सभा में उत्तर प्रदेश का राज्य संप्रतीक विधेयक, 2019 भी पारित हुआ। इस में राज्य के प्रतीक चिह्न का अनुचित प्रयोग किये जाने पर दो वर्ष की सजा और पांच हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान है। वहीं विधेयक को सपा सदस्य उज्ज्वल रमण सिंह ने प्रवर समिति को सौंपे जाने की मांग की।