नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र के बाद अब मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, गुजरात और कर्नाटक में भी किसानों की कर्जमाफी की मांग उठी है। यूपी की योगी सरकार ने जहां 36,359 करोड़ का किसानों का लोन माफ किया है तो महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार के लिए यह आंकड़ा 30,000 करोड़ रुपए है।
वर्ष 2016-17 की बात करें तो भारत में कुल मिलाकर 3.1 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया है। यह राशि जीडीपी का 2.6 फीसदी हिस्सा है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस फंड को गांवों के विकास पर खर्च किया जाए तो कायपलट हो जाए। यह रकम 2017 में गांवों में सड़कें बनाने के लिए रखे गए बजट से 16 गुना ज्यादा है। इसको सिंचाई पर खर्च किया जाए तो 55 फीसदी तक क्षमता बढ़ाई जा सकती है जो बीते 60 सालों में नहीं हो पाया है।
किस प्रदेश में कितने की कर्जमाफी की मांग
प्रदेश | कर्जमाफी की मांग (रुपए) |
यूपी | 36,359 करोड़ |
महाराष्ट्र | 30,000 करोड़ |
पंजाब | 36,600 करोड़ |
मप्र | 56,047 करोड़ |
गुजरात | 40,650 करोड़ |
हरियाणा | 56,000 करोड़ |
तमिलनाडु | 7,760 करोड़ |
कर्नाटक | 52,500 करोड़ |
कर्जमाफी से 3.28 करोड़ किसानों को मदद मिलेगी, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे किसानों की समस्या का स्थायी हल नहीं निकलेगा। सरकारों को ऐसी व्यवस्था बनाना होगी कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिले। ऐसा होगा तो आगे कर्जमाफी की नौबत नहीं आएगी।
सिर्फ महाराष्ट्र में है यह बोझ सहने का दम
रेटिंग एजेंसी सीएआरई (CARE) की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र देश में अकेला प्रदेश है, जो अपने दम पर किसानों की कर्ज माफ कर सकता है। यानी सिर्फ महाराष्ट्र के सरकारी खजाने की स्थिति ऐसी है कि वह अपनी बाकी आर्थिक जरूरतोंं को प्रभावित करे बगैर किसानों को यह राहत दे सकता है।
महाराष्ट्र में 2016 तक कृषि ऋण 87,051 करोड़ है। कर्ज माफ करने के बाद भी उसके खजाने में 38,789 करोड़ बचेंगे। वहीं यदि मध्यप्रदेश सरकार अपनी किसानों का 50,589 करोड़ रुपए माफ कर देती है तो उसके खजाने मेंं महज 74 करोड़ रुपए बचेंगे।
कर्जमाफी से ये उबर जाएंगे, देश डूबने लगेगा
- हर साल लाखों करोड़ के कर्जमाफ किए जा रहे हैं, लेकिन किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा नहीं थमा है। साफ है कर्जमाफी किसानों की समस्या का समाधान नहीं है।
- नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2007 में 16,379 किसानों ने आत्महत्या की थी, जबकि उस साल यूपीए सरकार ने 18 राज्यों के 3 करोड़ किसानों का लोन माफ किया था।
- वहीं कर्जमाफी से देश की आर्थिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इससे बैंकों की नॉन-परफॉर्मिंग असेट्स बढ़ती हैं। राजकोषीय घाटा भी बढ़ता है।
- 2009 में एग्रीकल्चरल नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (NPA) 25 फीसदी थी जो अब बढ़कर 41.8 फीसदी हो गई है।
- इस सबके बावजूद कर्जमाफी का फायदा सभी किसानों को नहीं मिल रहा। क्योंकि 3.28 करोड़ छोटे और मझले किसानों में से 1.06 करोड़ ही ऐसे हैं, जो बैंकों के बजाए साहूकारों से कर्ज लेते हैं।