नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ट्रेनों में टिकट चेकिंग की नई व्यवस्था लागू करने पर विचार कर रही है। इसमें टिकट जांचने का काम टीटीई के बजाय दूसरे कार्यों से जुड़ी महिला कर्मचारियों और रिजर्वेशन क्लर्कों को सौंपा जाएगा। ऐसा ट्रेनों में टीटीई की कमी के मद्देनजर किया जा रहा है। इसी के साथ 2,500 नए टीटीई की भर्ती भी होंगी। इस संबंध में जोनल रेलों और भर्ती बोर्डों को निर्देश दिए गए हैं।

भारतीय रेल इन दिनों टीटीई की कमी से जूझ रही है। हालत यह है कि 40 प्रतिशत बोगियों में कोई टीटीई नहीं होता। रेलवे बोर्ड ने इस पर चिंता जताई है। इस संबंध में पिछले दिनों बोर्ड ने मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधकों की बैठक बुलाई थी। इसमें टीटीई की भर्ती के अलावा उनके लिए रेस्ट हाउस तथा अन्य सुविधाओं की हालत के बारे में चर्चा हुई। इसी दौरान अफसरों को टिकट चेकिंग की वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारियां करने को कहा गया।

रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 2,500 टीटीई की भर्तियों का फैसला लिए जाने के बावजूद इन्हें भरने में उदासीनता दिखाई जा रही है। क्षेत्रीय भर्ती बोर्डों का रवैया भी ऐसा ही है। उन्होंने भी दो साल से टीटीई की कोई भर्ती नहीं की है।

बैठक में इस कमी को दूर करने के लिए जोनल रेलों को टीटीई की रिक्तियां सृजित करने तथा क्षेत्रीय भर्ती बोर्डों को भर्ती के इंतजाम करने के निर्देश देने का निर्णय लिया गया। उपनगरीय अथवा लोकल ट्रेनों के लिए टीटीई की आवश्यकता का आकलन करने का फैसला भी हुआ। इसके लिए अलग से नियम बनाए जाएंगे।

बैठक में टीटीई को पर्याप्त संख्या में हैंड हेल्ड टर्मिनल (एचएचटी) उपलब्ध कराने का मुद्दा भी उठा। तय हुआ कि शीघ्र ही जोनल रेलों को 550 एचएचटी मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी। इनका उपयोग राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में टिकट चेकिंग के लिए होगा। बाकी ट्रेनों में टीटीई की कमी दूर करने के लिए ईसीआरसी स्टाफ के उपयोग की संभावना तलाशी जाएगी।

टीटीई रेस्ट हाउसों की खस्ता हालत को देखते हुए तय हुआ कि टीटीई के रेस्ट हाउस भी बिलकुल वैसे होने चाहिए जैसे लोको पायलटों के होते हैं। इनका रखरखाव भी उसी तरह किया जाना चाहिए। सभी रेस्ट हाउसों में वाटर प्यूरीफायर लगाने का निर्णय हुआ। इसके लिए जोनल रेलवे महाप्रबंधकों से पर्याप्त धनराशि आवंटित करने को कहा गया है। मालूम हो कि हाल में टीटीई संगठन ने बोर्ड से काम के बढ़ते बोझ की शिकायत की थी।

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