कुसुम अग्निहोत्री, जालंधर। जोश और जुनून जिस पर सवार हो जाए, उसके लिए कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। चाहे वह फिर अहमदाबाद की पूनम का बुलेट पर सवार होकर मंडप तक आना हो या फिर पंजाब पुलिस में कार्यरत सुखविंदर कौर का बुलेट पर स्टंट करना।
पूनम और सुखविंदर की तरह ही जालंधर की भी कई छात्राएं भारी भरकम बुलेट की क्रेजी हैं। शहर के विभिन्ना कालेजों में पढ़ने वाली ये छात्राएं (मुटियार) इन दिनों बुलेट पर ही कालेज पहुंच कर लड़कों को चुनौती दे रही हैं। उनका यह शौक उन्हें दूसरे से अलग भी बना रहा है।
भीड़ से अलग दिखने की चाहत
गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी रीजनल कैंपस लद्देवाली में बीए एलएलबी की छात्रा मुस्कान एक बिजनेसमैन परिवार से संबंध रखती है। वह तीन बहनों में सबसे छोटी है। लेकिन दूसरों से कुछ अलग करने के शौक ने उसे एक अलग पहचान दी है। 9 साल की उम्र में खुद ही बाइक चलाना सीख लिया था।
मुस्कान कहती है उसे रोमांच काफी पसंद हैं। इसी वजह से उसने लड़कों की शान की सवारी कहे जाने वाली बुलेट को आजमाया। उसके दोस्तों ने बुलेट को काफी खतरनाक बताते हुए उसे इससे परहेज करने की सलाह दी, कुछ पल के लिए वह भी सहम गई थी पर जोश व जुनून ने इस डर पर काबू कर लिया। मुस्कान कहती है कि आज जब भी घर से बुलेट पर सवार होकर निकलती है तो उसे खुद पर काफी गर्व होता है।
हरसिमरन को मां से मिली प्रेरणा लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रही हरसिमरन का कहना है कि उसे बुलेट चलाने की प्रेरणा उसकी मां से मिली। वह स्कूल लेवल से ही खेलों में भाग लेती आई है।
कहीं भी मैच होता था तो उसे लड़कों के साथ उनकी मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर जाना पड़ता था, लेकिन उसने जब अपनी मां को बुलेट चलाते देखा तो उसने भी फैसला किया कि वह भी कोई दूसरी बाइक नहीं बल्कि शान की सवारी कही जाने वाली बुलेट ही चलाएगी। दसवीं कक्षा से ही हरसिमरन ने बुलेट चलाना शुरू कर दिया था। हरसिमरन अब यूनिवर्सिटी आना हो या फिर कहीं और जाना, बुलेट पर ही जाती है।
"बुलेट गर्ल" से है अलग पहचान
डीएवी कालेज में फर्स्ट ईयर की छात्रा मनजोत सुल्तानपुर लोधी से रोजाना कालेज बुलेट पर कालेज पहुंचती है। वह बताती है कि उसके कुछ अलग करने के जज्बे ने ही उसे बुलेट चलाने के लिए विवश किया। हालांकि मनजोत एक छोटे शहर से संबंधित है लेकिन वह एनआरआइ होने के कारण काफी बोल्ड व स्वतंत्र विचारों की है।
वह कहती है कि जब वह अपनी सहेली के साथ मॉडल टाउन चर लगाने जाती है तो उन्हें लड़के कई तरह के कमेंट करते हैं लेकिन वह उनकी बातों पर गौर नहीं करती हैं। वह कहती है कि बुलेट चला उसमें आत्मविश्र्वास तो पैदा होता ही है साथ ही वह दूसरों से भिन्ना दिखती हैं। मनजोत ने बताया कि उसकी मां उसे हमेशा आगे बढ़ने को काफी प्रोत्साहित करती है।
बुलेट की धक-धक की दीवानी
शहर भर में इस समय 100 से ऊपर छात्राएं बुलेट चला रही हैं। इनमें से 60 फीसदी तो खिलाड़ी हैं व बाकी 40 फीसदी अपने शौक व आत्मविश्र्वास और दूसरों से अलग दिखने के लिए इसका इस्तेमाल कर रही हैं। बुलेट कंपनी में कार्यरत पंकज ने बताया कि अक्सर छात्राएं बुलेट लेते समय साइलेंसर से निकलने वाली आवाज को थोड़ा तेज करवा लेती हैं।