
एजेंसी, दार्जिलिंग। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में स्थित प्रसिद्ध महाकाल मंदिर (Mahakal Mandir Controversy) में अब आधुनिक या छोटे कपड़े पहनकर जाने की अनुमति नहीं होगी। मंदिर प्रबंधन समिति ने दक्षिण भारत के मंदिरों की तर्ज पर सख्त ड्रेस कोड लागू कर दिया है।
इस नियम के तहत जींस, मिनी स्कर्ट, शॉर्ट्स, स्लीवलेस टॉप जैसे परिधानों में आने वाली लड़कियों और महिलाओं को मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
महाकाल मंदिर समिति के उपाध्यक्ष मदन सुब्बा ने बताया, “कई पर्यटक ऐसे परिधान पहनकर आते हैं जो मंदिर की मर्यादा के खिलाफ हैं। वातावरण की पवित्रता और श्रद्धा बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है।” उन्होंने कहा कि यह नियम इस सप्ताह से प्रभावी हो गया है।
भगवान शिव का यह महाकाल मंदिर उत्तर बंगाल के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी यहां पूजा-अर्चना की थी और कहा था कि “महाकाल मंदिर की तरह सिलीगुड़ी में भी एक भव्य मंदिर बनाया जाएगा।”
जो श्रद्धालु या पर्यटक अनजाने में छोटे कपड़ों में पहुंच जाते हैं, उनके लिए मंदिर समिति ने विशेष व्यवस्था की है। डोनेशन काउंटर पर चूड़ीदार और घाघरा किराए पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं ताकि कोई भी श्रद्धालु पूजा से वंचित न रहे।
इस फैसले ने दार्जिलिंग में नई बहस को जन्म दे दिया है। जहां कुछ लोग इसे मंदिर की गरिमा और परंपरा की रक्षा बता रहे हैं, वहीं कुछ इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर रोक मान रहे हैं। गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (GTA) के प्रवक्ता शक्ति प्रसाद शर्मा ने कहा, 'यह पूरी तरह मंदिर समिति का निर्णय है, इस पर प्रशासनिक रूप से कुछ कहना उचित नहीं।'
मंदिर गेट के बाहर लगे पोस्टर में साफ लिखा गया है -
'कृपया मंदिर में प्रवेश से पहले उचित परिधान धारण करें।
शॉर्ट्स, मिनी स्कर्ट, स्लीवलेस टॉप प्रतिबंधित हैं।'
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