हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली
साल भर पहले ईज ऑफ डूइंग बिजनेस कार्ययोजना लागू करने की रैंकिंग में तीसरे नंबर पर आकर सबको चौंकाने वाले झारखंड ने तरक्की के मामले में इस बार लंबी छलांग लगाई है। वित्त वर्ष 2015-16 में 12.14 प्रतिशत विकास दर के साथ झारखंड ने ग्रोथ रेट का नया "चैंपियन" बनकर उभरने का संकेत दिया है। खास बात यह है कि झारखंड ने विकास दर के मामले में न सिर्फ अपने पड़ोसी बीमारू प्रदेशों बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को पछाड़ा है बल्कि कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे संपन्न राज्यों को भी पीछे छोड़ा है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने नए आधार वर्ष 2011-12 पर राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के आंकड़े संकलित किए हैं। राज्यों की विकास दर के ये आंकड़े संबंधित राज्य सरकारों ने ही सीएसओ के पास भेजे हैं। इन आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2015-16 में झारखंड की विकास दर 12.14 प्रतिशत रही है जबकि परंपरागत तौर पर बेहतर माने जाने वाले राज्यों तमिलनाडु की विकास दर 8.79 प्रतिशत और कर्नाटक की 6.45 प्रतिशत रही।
गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर सहित कई राज्यों ने वित्त वर्ष 2015-16 के आंकड़े अब तक उपलब्ध नहीं कराये है। हालांकि जिन राज्यों के आंकड़े उपलब्ध हैं उनमें झारखंड की विकास दर सर्वाधिक है। वहीं झारखंड के साथ ही बने उत्तराखंड की विकास दर 8.79 प्रतिशत रही है जबकि छत्तीसगढ़ के ताजे आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। वैसे वित्त वर्ष 2014-15 में झारखंड की विकास दर 12.47 प्रतिशत रही थी और इस मामले में यह देशभर में बिहार के बाद दूसरे नंबर पर था।
बिहार की विकास दर घटी
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में सर्वाधिक विकास दर हासिल करने वाले बिहार की विकास दर बारहवीं पंचवर्षीय योजना में आकर डगमगाने लगी है। हाल यह है कि वित्त वर्ष 2015-16 में बिहार की विकास दर तेजी से नीचे आते हुए मात्र 7.14 प्रतिशत रह गयी है जबकि वित्त वर्ष 2014-15 में यह 13.02 प्रतिशत थी। वैसे बारहवीं पंचवर्षीय योजना के शुरुआती दो वर्षों में तो बिहार की विकास दर पांच वर्ष के स्तर को भी पार नहीं कर पायी थी।
पिछड़ रहा उत्तर प्रदेश
आबादी के लिहाज से देश में सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश विकास दर के मामले में पिछड़ रहा है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के पहले चार वर्षों में उत्तर प्रदेश एक बार भी राष्ट्रीय जीडीपी वृद्धि के बराबर विकास दर हासिल नहीं कर पाया है। बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे बीमारू राज्यों ने हाल में जहां दहाई के अंक में विकास दर हासिल की है वहीं इस मामले में उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन बेहद सुस्त रहा है।
हाल यह है कि वित्त वर्ष 2015-16 में देश की विकास दर 7.56 प्रतिशत थी वहीं उत्तर प्रदेश की विकास दर मात्र 7.13 प्रतिशत रही। इस तरह वित्त वर्ष 2012-13 से लेकर 2015-16 के दौरान चार वर्षों में एक भी वर्ष में उत्तर प्रदेश की विकास दर देश के बराबर नहीं रही है।
दिल्ली से आगे चंडीगढ़
जहां केंद्र शासित क्षेत्रों की बात है तो वित्त वर्ष 2015-16 में चंडीगढ़ की विकास दर 10.28 प्रतिशत, दिल्ली की 8.34 प्रतिशत और पुडुुचेरी की 7.73 प्रतिशत रही है।