समाज में जाति व्यवस्था के भेदभाव को मिटाकर दलित समाज के दूल्हे को घोड़ी पर बैठा कर सावन कहलाने वाले राजपुरोहित समाज ने एक नई मिसाल कायम की है मामला राजस्थान के जोधपुर संभाग के पाली जिले के निंबाड़ा गांव का है जहां गांव के राजपुरोहित समाज ने पहली बार दलित समाज के युवक की घोड़ी पर बैठा कर बिंदोरी निकाली। समाज के द्वारा की गई इस नई पहल का सभी ने स्वागत किया है और चारों और इस बात की चर्चा भी है। राजपुरोहित समाज के मौजूद लोगों के अनुसार निकट भविष्य में अन्य गांवों में भी इस तरह की परंपरा शुरू करने की कोशिश की जाएगी।
राजस्थान में अभी भी जाति प्रथा की मान्यता है जहां दलितों को सवर्णों की भांति घोड़ी पर बैठ कर बारात ले जाने या बिंदोरी निकालने की अनुमति नहीं है अमूमन पुलिस पहरे में ऐसी बिंदोरी निकाली जाती है लेकिन पाली जिले के छोटे से गांव निम्बाड़ा के राजपुरोहित समाज ने इसका एक ताजा उदाहरण पेश किया है।इस गांव के राजपुरोहित समाज ने एक ऐसी सकारात्मक पहल शुरू की है जो आने वाले कई सालों तक याद की जाएगी।करीब 550 साल के बाद यहां पहली बार किसी दलित दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ने का मौका मिला है।
यहां एक दलित दूल्हे की बिंदौली धूमधाम से निकाली गई।समाज ने दूल्हे का स्वागत किया साथ ही नेग भी दिया।इसके बाद मेघवाल समाज के उत्तम कटारिया दूल्हे के स्वरूप में सजधजकर घोड़ी पर बिठाया गया।
बैठक में सर्वसम्मिति से लिया गया फैसला
आपसी सौहार्द बढ़ाने के उद्देश्य से राजपुरोहित समाज के लोगों ने एक बैठक बुलाई जिसमें सभी जाति के लोग मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि अब गांव में दलित दूल्हों की बिंदौली निकले, जिसमे किसी तरह का कोई विवाद व तनाव नहीं हो। राजपुरोहित समाज के प्रमुख लोगों की यह बात सुन सभी ने उसका समर्थन करते हुए खुशी जाहिर की। इस दौरान गुड़ा एंदला एसएचओ रविन्द्रपाल सिंह राजपुरोहित को भी गांव वालों ने बुलाया तथा उन्हें गांव के इस फैसले अवगत करवा।इस बिंदौली में ना ही कोई पुलिस पहरा रहा और ना ही कहीं तनाव नजर आया। इस सकारात्मक बदलाव को देख कई लोगों ने खुशी जाहिर की है। ग्रामीणों का मानना है इस पहल से समाज में ज्यादा एकता और प्रेम रहेगा।