
डिजिटल डेस्क। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। वे चीफ जस्टिस बी.आर. गवई का स्थान लेंगे, जो रविवार शाम सेवानिवृत्त हुए।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने, बिहार में मतदाता सूची संशोधन (SIR), और पेगासस स्पाइवेयर मामले सहित कई महत्वपूर्ण फैसलों में शामिल रहे जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल करीब 15 महीनों का होगा। वे 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे और उसी दिन 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होंगे।
जस्टिस सूर्यकांत हाल ही में उस संवैधानिक संदर्भ याचिका की पीठ के सदस्य रहे, जिसमें विधानसभा से पारित विधेयकों पर राज्यपाल और राष्ट्रपति की भूमिका को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया था। वे उस पीठ में भी शामिल थे जिसने राजद्रोह कानून पर रोक जारी रखते हुए निर्देश दिया था कि सरकार द्वारा समीक्षा पूरी होने तक किसी भी नए मामले में एफआईआर दर्ज न की जाए।
महत्वपूर्ण फैसलों में सक्रिय भूमिका
जस्टिस सूर्यकांत उस पीठ का हिस्सा रहे जिसने बिहार में 65 लाख मतदाताओं को मतदाता सूची के मसौदे से हटाने के चुनाव आयोग के निर्णय पर दायर याचिकाओं की सुनवाई की और आयोग को रिकॉर्ड सार्वजनिक करने के लिए कहा। वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2022 की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन की जांच के लिए पूर्व जज इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित करने वाली पीठ में भी शामिल थे।
उन्होंने एक रैंक–एक पेंशन (OROP) योजना को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया और सेना में स्थायी कमीशन की मांग करने वाली महिला अधिकारियों की याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी। जस्टिस सूर्यकांत उस सात सदस्यीय पीठ में भी थे जिसने 1967 के एएमयू फैसले को पलटते हुए संस्थान की अल्पसंख्यक स्थिति पर पुनर्विचार का मार्ग खोला।
वे पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई करने और इसमें साइबर विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र समिति गठित करने वाली पीठ का हिस्सा भी रहे।
हिसार से सर्वोच्च न्यायपालिका तक का सफर
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उन्होंने छोटे शहर के एक वकील से लेकर देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक का सफर तय किया। उन्होंने 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलएम किया तथा पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिखे। उनकी नियुक्ति 5 अक्टूबर 2018 को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में हुई थी।