नई दिल्ली Jyotiraditya Scindia Profile। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने मंत्रिपरिषद में विस्तार किया है। मध्यप्रदेश की सियासत से केंद्रीय मंत्रिमंडल में ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हो गए हैं। सिंधिया ने केंद्रीय मंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ ली। उन्होंने ने साल 2019 में मध्यप्रदेश में कमलनाथ की कांग्रेस सरकार गिराकर भाजपा ज्वाइन कर ली थी। इसी के साथ एक बार फिर Jyotiraditya Scindia की सियासत की नई पारी शुरू हो गई है। सियासी परिवार से ताल्लुक रखने वाले सिंधिया सियासत के हर गुण में माहिर हैं।
कांग्रेस में एक लंबी सफल पारी खेलने के बाद जब उन्हें लगने लगा कि कांग्रेस में कमलनाथ और दिग्ज्विजय सिंह का खेमा उन्हें साइडलाइन करने में लगा है तो उन्होंने तगड़ा झटका देते हुए कांग्रेस को दो फाड़ कर दिया और कई विधायकों के साथ भाजपा ज्वाइन कर ली थी। Jyotiraditya Scindia के करियर की बात की जाए तो उन्होंने पिता के कदमों पर चलते हुए सीधे राजनीति में प्रवेश नहीं किया था। आइए जानते हैं कैसा रहा है Jyotiraditya Scindia अब तक का पूरा करियर -
सफल बैंकर से की करियर की शुरुआत
Jyotiraditya Scindia ने अपने करियर की शुरुआत एक सफल बैंकर के रूप में की थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिता माधवराव सिंधिया की मौत के बाद सिसायत में प्रवेश किया था। पिता माधवराव सिंधिया की विमान हादसे में मौत के बाद Jyotiraditya Scindia ने जब सिसायत में प्रवेश किया तो बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि प्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय गुट पूरी तरह से हावी हो चुके थे, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने धीरे-धीरे अपनी सियासी पकड़ मजबूत करते हुए अपना कद बढ़ाया।
2002 में लड़ा पहला लोकसभा चुनाव
साल 2001 में पिता की मौत के बाद विदेश से लौटकर आए और 2002 में पारंपरिक गुना सीट पर शानदार जीत हासिल कर संसद पहुंचे। इसके बाद साल 2004 में भी इसी सीट से जीत हासिल की। तब 6 अप्रैल 2008 को Jyotiraditya Scindia को केंद्रीय मंत्रिमंडल में पहली बार मंत्री बनाया गया था। इसी प्रकार 2009 के आम चुनाव में भी जीत हासिल करके संसद पहुंचे। और मनमोहन सिंह की सरकार में Jyotiraditya को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री का प्रभार दिया गया था।
2019 में हार गए थे लोकसभा चुनाव
साल 2014 में भी मोदी लहर के बावजूद सिंधिया ने आम चुनाव में जीत हासिल की। लेकिन 2019 के आम चुनाव में पार्टी में गुटबाजी के कारण सिंधिया अपने ही सहयोगी रहे केपी यादव से चुनाव हार गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी में ही एक गुट लगातार साइन लाइन करने की साजिश रचते रहा। आखिरकार उन्होंने अपने समर्थकों के साथ भाजपा ज्वाइन कर ली और अब करीब डेढ़ साल के इंतजार के बाद केंद्र में Jyotiraditya Scindia को एक बार फिर मंत्री बनाया गया है।