Delta Plus Variant: भारत में कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं, लेकिन इतना तो तय है कि इस वैरिएंट ने स्वास्थ्य एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। कोविड-19 के इस अत्यधिक संक्रामक वेरिएंट के अभी तक 40 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से सबसे अधिक महाराष्ट्र के हैं। इसके अलावा चार राज्यों - केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडुऔर कर्नाटक में भी में डेल्टा प्लस वेरिएंट ने दस्तक दे दी है।परेशानी की बात ये है कि इस वेरिएंट के बारे में जानकारी कम है और ये वैक्सीन और इम्युनिटी दोनों को चकमा दे सकता है।
डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट में क्या है अंतर?
डेल्टा वेरिएंट पहली बार भारत में ही पाया गया था। जब यूरोपीय मीडिया ने इसे इंडियन वैरिएंट कहा था तो विदेश विभाग ने कड़ी आपत्ति जताई। उसके बाद WHO ने सभी वैरिएंट के नाम ग्रीक वर्णमाला के अक्षरों के नाम पर रख दिये। भारत में पाई जानेवाले वैरिएंट को डेल्टा नाम दिया गया। आपको बता दें कि देश में सितंबर 2020 के बाद कोरोना की आई दूसरी लहर की वजह यही वेरिएंट था। संक्रमण के मामले में इसकी गति काफी तेज थी और भारत में इसने कितना कोहराम मचाया, ये किसी से छिपा नहीं है।
अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि डेल्टा वेरिएंट ही विकसित होकर डेल्टा प्लस बन गया है। भारत में सबसे पहले सामने आए डेल्टा या B.1.617.2 वेरिएंट में म्यूटेशन से विकसित हुआ है डेल्टा प्लस (B.1.617.2.1/AY.1)। वैज्ञानिकों के मुताबिक डेल्टा वेरिएंट की स्पाइक में K417N म्यूटेशन जुड़ जाने का कारण डेल्टा प्लस वेरिएंट बना है। K417N म्यूटेंट द.अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस के बीटा वैरिएंट और ब्राजील में पाए गए गामा वैरिएंट में भी पाया गया है। डेल्टा प्लस से संक्रमण के मामले भी सबसे पहले भारत में मिले हैं, और वैज्ञानिक जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए लगातार इस पर नजर बनाए हुए हैं।
डेल्टा प्लस वैरिएंट के लक्षण
डेल्टा प्लस को क्यूं बताया जा रहा है खतरनाक?
वैज्ञानिकों को आशंका है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट पर भारत में हाल ही में अधिकृत मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल ज्यादा असरदायक नहीं है। आपको बता दें कि स्विस कंपनी रॉश ने एक दवा बनाई है, जिसमें दो एंटीबॉडी के मिश्रण को कृत्रिम तरीक़े से लैब में तैयार किया गया है। जिसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल कहते हैं। ये दवा हैं -कैसिरिविमाब (Casirivimab) और इम्डेविमाब (Imdevimab)। दावा किया जाता है कि डोनाल़्ड ट्रंप को कोरोना होने पर यही दवा दी गई थी और वो दो दिनों में ठीक हो गये थे। भारत में भी कुछ बड़े अस्पतालों में इसका इस्तेमाल किया रहा है।
अभी तक जितने भी वेरिएंट आए हैं, डेल्टा उनमें सबसे तेजी से फैलता है। अल्फा वेरिएंट भी काफी संक्रामक है, लेकिन डेल्टा इससे 60 पर्सेंट अधिक संक्रामक है। डेल्टा के दो म्यूटेशन- 452R और 478K इम्युनिटी को चकमा दे सकते हैं। डेल्टा से मिलते-जुलते कप्पा वैरिएंट भी वैक्सीन को चकमा देने में कामयाब दिखा, लेकिन यह बहुत ज्यादा नहीं फैला। व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. एंथनी फाउची ने आगाह किया है कि डेल्टा बेहद संक्रामक वेरिएंट है। अमेरिका में सामने आने वाले कोरोना के नए मामलों में से 20 फीसदी से अधिक में संक्रमण की वजह यही है।
अब भारत में डेल्टा से ज्यादा ताकतवर और संक्रामक वैरिएंट डेल्टा प्लस ने दस्तक दी है। जाहिर है इसे पहले से ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है और आशंका जताई जा रही है कि कहीं यह कोरोना महामारी की तीसरी लहर की वजह ना बन जाए।