Seema Kushwaha : सात साल की कानूनी लड़ाई और भावनात्मक संघर्ष के बाद आखिर वह घड़ी आ गई जिसका निर्भया के माता-पिता को इंतजार था। निर्भया से दरिंदगी करने वाले चारों दोषियों को 20 मार्च की अलसुबह फांसी पर लटका दिया गया और इसी के साथ निर्भया के परिवार को सुकून मिला। इस इंसाफ के बाद से देश भर में खुशी का माहौल है। बेटी के लिए न्याय की इस जंग में मां-बाप के साथ एक और बेटी थी जो पूरे समय तन्मयता से अपने मिशन में जुटी रही। आज उसे भी देश शुक्रिया कह रहा है। इस बेटी का नाम है सीमा समृद्धि कुशवाह Seema Samriddhi Kushwaha जो कि एक वकील है। आइये जानें कौन हैं वकील सीमा कुशवाह।
सीमा कुशवाह मूल रूप से यूपी के इटावा Etawah of UP की रहने वाली हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी Delhi University से लॉ की पढ़ाई पूरी की। दिसंबर 2012 में जब निर्भया के साथ दरिंदगी की हदें पार करने वाली वारदात हुई, उस दौर में सीमा अपने ट्रेनिंग पीरियड में थीं। इस घटना के बारे में जब उन्हें पता लगा तो उन्होंने यह तय कर लिया था कि वे यह केस लड़ेंगी और इसके लिए कोई फीस नहीं लेंगी।
उनके वकालत के करियर का यह पहला ही केस था। इसमें उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। इन्होंने निर्भया के अभिभावकों की तरफ से कोर्ट में सिलसिलेवार दलीलें रखीं। कोर्ट में वे हमेशा निर्भया के मां-बाप के साथ बनी रहीं और उनके सुख व दुख में भागीदारी रहीं। मायूसी के लंबे दौर के बाद आज सुबह जब खुशी का मौका आया तो निर्भया की मां और पिता ने उसके साथ तस्वीरें खिचंवाईं।
वर्ष 2014 में सीमा Seema Kushwaha ने ज्योति लीगल ट्रस्ट ज्वाइन किया था जो कि दुष्कर्म पीडि़ताओं के लिए निशुल्क कोर्ट केस लड़ने का काम करता है। जहां तक सीमा के निजी करियर की बात है, वह वकालत को प्राथमिकता नहीं देती थीं। वे आईएएस बनना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी की थी। लेकिन हालात ऐसे बदले कि उन्होंने वकालत के रूप में करियर की शुरुआत की।
सात भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं सीमा
उनके परिवार में कुल सात भाई व बहन हैं। सीमा सबसे छोटी हैं। सीमा ने बचपन से ही अभावों और संघर्ष की भट्टी में तपकर निखरना सीखा। पढ़ाई को लेकर सीमा के मन में गहरी ललक थी। मुश्किल हालात के बीच उन्होंने पढ़ाई पूरी की। उनकी आरंभिक शिक्षा ग्रामीण क्षेत्र में हुई। लखना कस्बे के कलावती रामप्यारी स्कूल से निकलने के बाद उन्होंने इंटर की पढ़ाई की।
संविदा शिक्षक की नौकरी की
अजितमल पीजी कॉलेज से निकलने के बाद सीमा ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद कुछ समय के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी प्रयास किया। आर्थिक परेशानी के चलते उन्होंने प्रौढ़ शिक्षा विभाग में संविदा शिक्षक की नौकरी भी की। वर्ष 2012 में सीमा ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। लॉ के अलावा उन्होंने मॉस कम्युनिकेशन की भी पढ़ाई की।
ऐसे आया इस केस को लड़ने का विचार
विरोध प्रदर्शनों के दौरान ही सीमा #SeemaKushwaha के मन में यह विचार आया कि वह स्वयं एक वकील है तो क्यों ना खुद ही इस केस को डील किया जाए। सीमा यदि इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में लिस्टिंग के लिए प्रयास नहीं करतीं तो इस केस की सुनवाई में तेजी आना मुश्किल था।
वर्तमान में Seema Kushwaha सीमा कुशवाह सुप्रीम कोर्ट प्रैक्टीशनर Supreme Court Practitioner हैं। निर्भया केस के संबंध में वे बताती हैं कि इस केस की तैयारी करना, इसे लड़ना शुरू से ही बड़े चैलेंज से कम नहीं रहा। वह सात साल से निर्भया के माता-पिता के साथ लगातार संपर्क में थीं, इसके चलते उनका दोनों से एक प्रकार से भावनात्मक नाता भी जुड़ गया। निर्भया की मां आशा देवी और पिता बद्रीनाथ सिंह भी सीमा की लगन को मानते हैं। आज सुबह फांसी के बाद दोनों से सबसे पहले सीमा का शुक्रिया अदा किया। उनका कहना है कि सीमा के अनथक प्रयासों के बिना इस इंसाफ की लड़ाई को जीत पाना नामुमकिन था।
विरोध प्रदर्शनों में प्रमुखता से थीं आगे
निर्भया मामले में देश भर में विरोध प्रदर्शनों की बाढ़ सी आ गई थी। राजधानी दिल्ली में सर्वाधिक प्रदर्शन हुए। रैलियां निकाली गईं। इन सबमें सीमा कुशवाह Seema Kushwaha प्रमुखता से आगे रहीं। उन्होंने राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट पर हुए प्रदर्शनों में भागेदारी की।
महिला दिवस पर लिखी थी यह Facebook Post
अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर आप सभी साथियों को शुभकामनाएं।अब जब स्त्रियाँ सशक्त हो रही हैं अपने अधिकारों को लेकर; तो ऐसे में पुरूष वर्ग का ये दायित्व है कि वो आगे बढती हुई स्त्री को स्वीकार करना सीखे; अगर सच में एक परिवार,समाज व देश को आप आगे बढ़ता देखना चाहते हैं; तो स्त्री को अपनी बेटी,बहिन,दोस्त,पत्नी,माँ से भी आगे एक दर्जा प्रदान करें।और वो दर्जा है "एक स्त्री को इंसान समझने का"।आगे बढती हुई स्त्री से समाज विखण्डित नहीं होता है,बल्कि समाज़ का विखण्डन पितृसत्तात्मक समाज के अडियल रवैये से होते है।इसलिये स्त्री( हम) और ( आप) बराबर है का स्लोगन अब पुरूष वर्ग की तरफ से आना चाहिये।
"हक हमारा भी तो है"
सीमासमृद्धि।
#WATCH Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang rape victim shows victory sign & hugs her sister Sunita Devi and lawyer Seema Kushwaha. pic.twitter.com/rskapVJR13
— ANI (@ANI) March 20, 2020
#WATCH Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang rape victim says, "As soon as I returned from Supreme Court, I hugged the picture of my daughter and said today you got justice". pic.twitter.com/OKXnS3iwLr
— ANI (@ANI) March 20, 2020