ज्ञान ज्योति, गिरिडीह। झारखंड के नक्सल प्रभावित गिरिडीह जिले में स्थित है मधुबन। यह जैन धर्मावलंबियों का विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यहां से दुनिया को अहिंसा का संदेश दिया जाता है। हर वर्ष विदेश से भी यहां हजारों जैन श्रद्धालु आते हैं मगर अफसोस यह तीर्थनगरी अब तक उपेक्षित रही। शायद इसी कारण यह विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अब तक अपनी जगह नहीं बना सकी। हालांकि अब उम्मीद की लौ जली है। केंद्र व राज्य सरकार ने यहां के पारसनाथ पर्वत को विश्व विरासत स्थल में शामिल कराने की दिशा में पहल शुरू की है।
बता दें कि पारसनाथ की सदियों से खास पहचान रही है। जैनियों के 24 में 20 तीर्थंकरों का मोक्ष स्थल यही माना जाता है। इसके अलावा हजारों मुनियों ने भी इस पावन भूमि पर मोक्ष प्राप्त किया है। यही वजह है कि पारसनाथ पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। अब यदि इसे विश्व विरासत स्थल में शामिल किया जाता है तो इसकी पहचान को एक नया आयाम मिलेगा।
कैसे हुई पहल
गिरिडीह जिले के नवाडीह निवासी अधिवक्ता सह सामाजिक कार्यकर्ता मदन मोहन प्रिय ने केंद्र और राज्य सरकार का ध्यान इस ओर दिलाया। उन्होंने 14 अप्रैल, 2016 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) में इस बाबत अर्जी दायर की थी। इसे मंजूर करते हुए विभाग ने संस्कृति मंत्रालय को अग्रसारित कर दिया है। मदन मोहन प्रिय की मानें तो 21 अप्रैल, 2016 को एएसआइ के निदेशक डॉ. एम नंबीराजन ने अर्जी पर उठाए गए कदम की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि अगर यह प्रस्ताव झारखंड सरकार से अनुमोदित होकर आता है तो विभाग इसे अग्रेतर कार्रवाई के लिए विश्व विरासत स्थल की केंद्रीय एजेंसी यूनेस्को को भेजेगा। केंद्र से लेकर राज्य स्तर पर जिस तरह गंभीरता दिखाई जा रही है उससे इस बाबत उम्मीद बढ़ गई है। बताया गया है कि पारसनाथ के विश्व विरासत स्थल में शामिल होने पर यहां का विकास यूनेस्को की गाइड लाइन के अनुसार होगा।