डिजिटल डेस्क, इंदौर: भारत का पहला सुपरसोनिक विमान, जिसने कई दशकों तक भारतीय आसमान की सुरक्षा की, आज रिटायर किया गया। दशकों तक भारतीय वायुसेना में सबसे खतरानाक लड़ाकू विमान रहा मिग-21 का सफर अब यहीं तक है। सन् 1965 से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक जंग के मैदान में भारत को जीत दिलाने में और दुश्मनों का दिल दहलाने में मिग-21 का बड़ा योगदान रहा है।
इस बेहतरीन फ्लाइंग मशीन के भारत के जांबाजों ने पाकिस्तान के अत्याधुनिक एफ-16 जैसे विमान को भी जमींदोज किया है। भारतीय वायूसेना में मिग-21 के नाम अनगिनत किस्से हैं, जो हर भारतीय के रगों में जोश और सीने में गर्व भर देती है। अपने 62 साल के इस शानदार सफर में मिग-21 से इंडियन एयर फोर्स को आसमान का राजा बनाया है।
मिग-21 एक सोवियत लड़ाकू विमान है, जिसे रूसी तकनीक ने बनाया गया था। भारतीय वायूसेना में इसे 1963 में शामिल किया गया था, यह भारत का पहला सुपरसोनिक विमान था। यानि यह फाइटर जेट ध्वनि की गति से तेज उड़ सकता है। 1963 से अब तक मिग-21 भारतीय वायूसेना का सबसे शानदार लड़ाकू विमान साबित हुआ है।
समय के साथ इस विमान में भी अपग्रेड किया गया है, क्योंकि 63 के बाद धीरे-धीरे तकनीकी विकास होता रहा। साल 2000 में मिग-21 का अपग्रेडेड वर्जन आया, जिसे मिग-21 बाइसन कहा गया। मिग-21 बाइसन को उस समय कई अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया गया था। इसमें नया रडार सिस्टम, हेलमेट-माउंडेट साइट्स जोड़े गए।
भारतीय वायूसेना के बहादूर पायलटों के साथ मिलकर मिग-21 ने साल 1965 के जंग के बाद से ही दुश्मनों के होश फाख्ता किए हैं। यहां तक कि हालहीं में हुए ऑपरेशन में भी मिग-21 का इस्तेमाल किया गया है। अब तक कई बार जंग के आसमान में मिग-21 ने अपना जादू दिखाया है।
हालांकि वक्त के साथ-साथ मिग-21 की टेकनोलॉजी पूरानी होती गई, और इसमें खामियां आने लगीं। इन खामियों और कमियों के कारण उड़ान के दौरान कई बार मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त भी हुए, यहां तक कि इसे 'फ्लाइंग कॉफिन' भी कहा गया, क्योंकि इसे उड़ाते हुए दुर्घटनाग्रस्त होकर कई पायलट शहीद भी हुए हैं। वावजूद इसके यह एक शानदार हवाई मशीनी लड़ाका है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
दरअसल, पिछले 62 सालों में 400 से ज्यादा मिग-21 हादसे का शिकार हुए हैं, जिसमें 200 से ज्यादा भारतीय वायूसेना के पायलटों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। हालांकि हादसों के कई कारण रहे हैं, जैसे की पूराना डिजाइन, रखरखाव में दिक्कत और कुछ हादसों में पायलटों की गलती। इन्ही कारणों से मिग-21 को 'फ्लाइंग कॉफिन' या 'उड़ता ताबूत' नाम मिला।
2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान क्लोज कॉमबेट में भारत के जाबांज पायलट अभिनंदन ने अपने मिग-21 से पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराया था। पाकिस्तान का एफ-16, जो कि उसे अमेरिका से मिला था, उस समय दुनिया के सबसे उन्नत फाइटर जेट माना जाथा था। भारत के अभिनंदन और मिग-21 की जोड़ी ने हवा में ही उसे उड़ा दिया था।
मिग-21 को भारतीय वायूसेना के पायलटों की पहली पसंद माना जाता है। भारतीय वायूसेना के रिटायर्ड विंग कमांडर अविनाश चिकटे कहते हैं कि 'मैं पहली बार 1982 में अपने मिग-21 से मिला था, धूप में चमक रहा था। उसके फीचर्स इतने सुडौल, शंक्वाकार और इतने खूबसूरत थे कि पहली नजर में ही प्यार हो गया था। लेकिन मैं डरा हुआ भी था। मेरे पास मुश्किल से 175 घंटे उड़ान का अनुभव था, और मैं सोच रहा था कि क्या मैं इतनी शानदार, चकाचौंध भरी खूबसूरती को संभालने के काबिल हूं।
वायूसेना से मिग-21 को रिटायर करने बाद भारत का स्वदेशी सुपरसॉनिक लड़ाकू विमान तेजस एमके 1ए को उसका स्थान दिया जाएगा। तेजस विमान पूरी तरह से स्वदेशी है, जिसे भारत के एचएएल और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ने मिलकर बनाया है। हालांकि कई कारणों से तेजस की डिलीवरी में देर हो रही है, जिस कारण अब तक भारतीय वायूसेना को मिग-21 का इस्तेमाल करना पड़ रहा था।
तेजस विमान स्वदेशी मिसाइलों जैसे अस्त्र - 1 और दूसरे स्वदेशी रक्षा उपकरणों से लैस होंगे। तेजस के उन्न्त वैरिएंट को मिराज लड़ाकू विमानों की जगह लेने के लिए तैयार किया जा रहा है।