भारत में ऐसी कई जनजातियां रहती हैं, जिनकी परंपराएं और मान्यताएं अब भी दुनिया के लिए अबूझ हैं। ऐसी ही एक जनजाति है नगा, जिसके नाम पर नगालैंड बना है। इस जनजाति में एक ऐसी परंपरा रही है कि जब तक जवान हो चुका युवक किसी दुश्मन कबीले के किसी व्यक्ति को मारकर उसका नरमुंड नहीं लाता, तब तक उस युवक की शादी नहीं हो सकती थी। किस्सा कुछ यूं है कि भारत के सुदूर पूर्वोत्तर पहाड़ी इलाकों में नगा जनजातियां रहती हैं। ये मूलतः इंडो-मंगोल परिवार के हैं।
इतिहास में ये मंगोलिया से चलकर भारत आए थे और फिर यहीं के होकर रह गए। महाभारत काल में इन्हें 'किरात' कहा जाता था। इन नगा जनजातियों में जीवन जीने, खाने-पीने और रिश्ते बनाने को लेकर ऐसी अनूठी परंपराएं प्रचलित रही हैं, जो विश्व में कहीं अन्य बसने वाली जनजातियों में नहीं। नगा मूलतः ऊंची और घने जंगलों वाली पहाड़ियों में रहने वाले लोग होते हैं। ये जंगलों से ही अपना जीवन चलाते हैं।
इतिहास में जंगली जानवरों के बीच रहकर उनसे अपनी सुरक्षा करते-करते ये जनजाति इतनी लड़ाका होगई कि इनमें हत्या, रक्तपात और दुश्मन कबीलों को रात में सोते-सोते ही मौत के घाट उतार देने की परंपराएं चल पड़ीं। विवाह को लेकर तो नगा जनजाति में यह परंपरा रही कि जो युवक जवान होता, उसे गांवसमाज की ओर से खुला छोड़ दिया जाता।
उस युवक के पास इस बात की चुनौती होती कि वह दुश्मन के कबीले में घुसे या फिर जब कोई दुश्मन जंगल में शहद जुटाने, शिकार करने या लकड़ी बीनने आए तो उसे दबोच कर मार डाले। इतना ही नहीं, वह उसका सिर काटकर नरमुंड अपने साथ लाकर अपने कबीले को बताए।
इतना करने पर उस युवक को विवाह के योग्य माना जाता था। यह परंपरा भारत के 1947 में स्वतंत्र होने के बाद भी कई वर्षों तक चली। कहते हैं कि घने जंगलों में बसे कुछ कबीलों में अब भी यह प्रथा जीवित है। जो कबीले इस परंपरा को मानते हैं, वे किसी भी सूरत में इसे बंद करने को तैयार नहीं।