Nari Shakti Vandan: 27 वर्षों से क्यों अटका था महिला आरक्षण बिल, जानिये इसकी वजह
Nari Shakti Vandan: आप जानते हैं कि यह बिल 27 वर्षों से क्यों अटका हुआ था और यह लोकसभा में पेश नहीं हो पाया। आइये समझते हैं इसकी वजह।
By Navodit Saktawat
Edited By: Navodit Saktawat
Publish Date: Tue, 19 Sep 2023 02:26:05 PM (IST)
Updated Date: Tue, 19 Sep 2023 03:10:15 PM (IST)
Nari Shakti Vandan: यह महिला आरक्षण विधेयक गत 27 सालों से संसद में लंबित था।HighLights
- यह महिला आरक्षण विधेयक गत 27 सालों से संसद में लंबित है।
- अनेक दलों ने इसे को मंजूरी दिए जाने की मांग की थी।
- यह लोकसभा में पेश नहीं हो पाया। आइये समझते हैं इसकी वजह।
Nari Shakti Vandan: नए संसद भवन की लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में इसे नारी शक्ति वंदन के नाम से संबोधित किया था। यह महिला आरक्षण विधेयक गत 27 सालों से संसद में लंबित है। आपको पता होगा कि बीते कई वर्षों में इस विधेयक को राजनीतिक दलों द्वारा मजूरी दिए जाने की मांग उठती रही है। हाल ही में अब इस बार जब केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई गई तो इस दौरान अनेक दलों ने इसे को मंजूरी दिए जाने की मांग की थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह बिल 27 वर्षों से क्यों अटका हुआ था और यह लोकसभा में पेश नहीं हो पाया। आइये समझते हैं इसकी वजह।
महिला आरक्षण बिल का सफर
- वर्ष 1996 में महिला आरक्षण विधेयक सबसे पहली बार संसद में पेश किया गया था। तब केंद्र में एचडी देवगौड़ा की सरकार थी।
- इस बिल को उस समय गीता मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित की गई संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था। लेकिन इसके बाद एचडी देवगौड़ा की सरकार गिर गई और बिल अटक गया था।
- फिर वर्ष 1998 में अटल सरकार ने संसद में इस बिल को दोबारा पेश किया, लेकिन इस बार राजनीतिक दलों में मतभेद के चलते विधेयक को स्वीकृति नहीं मिल पाई।
- महिला आरक्षण बिल को अगले साल 1999 में दोबारा लोकसभा में प्रस्तुत किया गया लेकिन इस बार भी यह मंजूर नहीं हो सका।
- 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे सदन से पारित कराना चाहा लेकिन उस समय भी यह बिल मंजूर नहीं हो सका।
- इसके बाद 2004 में जब लोकसभा चुनाव हुए तब कांग्रेस नीत संप्रग सरकार बनी तो कांग्रेस ने भी इस बिल को मंजूर कराने की कोशिशें की।
- 2008 में यूपीए सरकार ने यह बिल राज्यसभा में पेश किया। इस विधेयक को संसद की स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष भेजा गया।
- 2010 में यह बिल राज्य सभा से पारित भी हो गया लेकिन लोकसभा में आकर यह बिल फिर से अटक गया। तब से इसे मंजूर किए जाने की मांग जारी थी।
![naidunia_image]()
![naidunia_image]()
![naidunia_image]()
भारत को क्यों है महिला आरक्षण बिल की जरूरत
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट-2022 में भारत में महिला नेत्रियों की स्थिति से अवगत कराया गया है। महिला मंत्री और सांसदों की संख्या के मामले में भारत की रैंकिंग 146 देशों में से 48वें स्थान पर है। जबकि इस मामले आइसलैंड और बांग्लादेश जैसे देशों की स्थिति काफी बेहतर है।