
डिजिटल डेस्क। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई कैबिनेट का गठन हुआ है, जिसमें मुख्यमंत्री समेत 26 मंत्री हैं। विधायकों की संख्या के अनुसार, अभी भी नौ मंत्रियों की जगह खाली है। एनडीए गठबंधन में इन खाली सीटों को लेकर मंथन जारी है, और कई विधायक मंत्री पद की उम्मीद लगाए बैठे हैं। जदयू को इस समय 'अतिथि' विधायकों का इंतजार है, जिनके आने से पार्टी की स्थिति मजबूत हो सकती है। एनडीए के भीतर पहले विस्तार की कोई तिथि तय नहीं की गई है, लेकिन मंत्री न बन पाए विधायक इन खाली पदों पर उम्मीद लगाए बैठे हैं।
बता दें कि एनडीए के कुल 202 विधायकों में से 22 को ही फिलहाल मंत्रिमंडल में जगह मिली है। चार सदस्य विधान परिषद से हैं और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के दीपक प्रकाश फिलहाल किसी सदन के सदस्य नहीं हैं, जिन्हें एमएलसी बनाया जाएगा। कुल मिलाकर करीब 180 विधायक और कुछ विधान पार्षद कैबिनेट विस्तार की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
बीजेपी ने इस बार अपने सात पुराने मंत्रियों को मौका नहीं दिया, जबकि जदयू ने कोई नया चेहरा शामिल नहीं किया। रालोमो और लोजपा (र) को मिले मंत्रालय पहले भाजपा के पास थे। एनडीए की पूर्व सहमति के अनुसार कैबिनेट में 20 पद भाजपा और 15 जदयू के हिस्से में आते हैं, जिसमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। एक पद हम (हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा) के पास है। अगर पुराना फॉर्मूला ही लागू रहा, तो बचे हुए नौ पदों में छह जदयू और तीन भाजपा को मिलेंगे।
कई वरिष्ठ मंत्रियों के पास दो से पांच तक विभाग हैं, जिनका पुनर्वितरण नए मंत्रियों को किया जाएगा। उधर, जदयू कुछ अन्य दलों के विधायकों का इंतजार कर रही है, जो महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल हो सकते हैं। यदि ये विधायक जदयू में आते हैं, तो दल की संख्या भाजपा के बराबर या उससे अधिक हो जाएगी। ऐसे आने वाले विधायकों को मंत्री पद देकर सम्मानित किए जाने की संभावना है। अगर ये नहीं हुआ, तो बचे हुए पद जदयू अपने मौजूदा विधायकों को देगी।