एजेंसी, मेरठ। निठारी कांड में सुरेंद्र कोली को उस समय बड़ी राहत मिली, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 16 अक्टूबर को उसे दोष मुक्त करार देते हुए फांसी की सजा रद्द कर दी। वैसे सुंरेंद्र कोली लंबे समय से सजा से बचाने की कोशिश में लगा था।
नर पिशाच सुरेंद्र कोली ने देश ही नहीं दुनिया के बड़ी हस्तियों और मीडिया घरानों को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई थी। उसने 2014 में मेरठ जेल से देश के तत्कालीन राष्ट्रपति, तत्कालीन गृहमंत्री के अलावा तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, अमेरिकी न्यूज चैनल वाइस ऑफ अमेरिका, बीबीसी जैसे संस्थानों को पत्र लिखकर न्याय दिलाने की मांग की थी।
14 मार्च 2014 को देश के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नाम संबोधित पत्र में कोहली ने कहा था कि निठारी कांड के मुख्य दोषी मोनिंदर पंधेर को जांच में बचा लिया गया। कोली ने इन पत्रों की कॉपी मेरठ जेल में मुलाकात के दौरान जिला पंचायत सदस्य नारायण रावत को सौंपे। नारायण रावत के मुताबिक कोली ने इन पत्रों को जेल अधीक्षक के मार्फत संबंधित व्यक्तियों को भेजा था।
चार पेज का लिखा पत्र
सुरेंद्र कोली ने बराक ओबामा को चार पेज का पत्र लिखकर न्याय दिलाने की मांग की थी। उसने आरोप लगाया था कि पुलिस ने निठारी कांड की जांच में गड़बड़ी की। यदि अन्य देशों की एजेंसी जांच करे, तो वास्तविकता सामने आ जाएगी।
कोली ने लिखा था कि देश में इस किस्म के घृणित कामों में कई गिरोह शामिल हैं जो बच्चों, महिलाओं की तस्करी के साथ ही मानव अंगों की तस्करी में लिप्त हैं। उसने स्वयं को निर्दोष बताकर न्याय दिलाने की गुहार लगाई थी।
पंधेर को घेरा
उसने पत्र में पंधेर के कई महिलाओं के साथ अवैध रिश्ते और उसके रंगीन मिजाजी का भी जिक्र किया था। इससे पहले 20 जून को तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नाम पत्र लिखकर कोहली ने निठारी कांड की दोबारा जांच केंद्रीय एजेंसियों से कराने की मांग की थी।
गरीबी ही बनी अभिशाप!
उसी दौरान सुरेंद्र कोली की मां कुंती देवी और पत्नी शांति देवी ने आरोप लगाया था कि हमारी गरीबी ही सुरेंद्र के लिए अभिशाप बन गई है। हम पहले ही कह चुके हैं कि पुलिस ने पैसे वाले पंधेर को बचा लिया जबकि गरीब को न्याय की जगह फांसी मिल गई।