नई दिल्ली। भारत ने जब सन् 1974 में परमाणु परीक्षण किया तो दुनिया के जो देश सबसे ज्यादा सकते में आए उनमें अमेरिका और पाकिस्तान थे। अमेरिका ये सोच भी नहीं सकता था कि कुछ साल पहले तक गरीबी से लड़ रहा भारत परमाणु बम बनाकर उसका परीक्षण भी कर लेगा! जबकि पाकिस्तान को डर बैठ गया था कि भारत इस शक्ति से संपन्न् होने के कारण उसे दबा देगा।
भारत के परमाणु परीक्षण के चलते पाकिस्तान ने खुद अपने सामने 'करो या मरो" जैसी स्थिति पैदा कर ली। पाकिस्तानी हुकूमत चाहती थी कि येन-केन-प्रकारेण वे भी परमाणु बम बनाएं और परीक्षण करें। बम बनाने की उनकी बेचैनी इससे समझी जा सकती है कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने ये बयान दिया था कि- 'पाकिस्तान के लोगों को अगर घास की रोटी खानी पड़े तो भी मंजूर है, लेकिन हमें अब परमाणु बम बनाना ही है"।
सरकार की इस जिद का नतीजा ये हुआ कि पाकिस्तानी वैज्ञानिकों में होड़ मच गई। उनमें से ज्यादातर चाहते थे कि वे किसी तरह परमाणु तकनीक और जानकारी हासिल करें और अपने देश के लिए परमाणु बन बनाकर सरकार की नजर में चढ़ जाएं।
तब पाकिस्तान में शीर्ष वैज्ञानिक हुआ करते थे अब्दुल कदीर खान। एक्यू खान नाम से पहचाने जाने वाले इस शख्स ने मेटलर्जी (धातु विज्ञान) और फिजिक्स (भौतिकी) दोनों विषयों में समान अधिकार के साथ पीएचडी की थी। खान ने बीड़ा उठाया और वे सरकार के खर्च पर दुनिया के अलग-अलग देशों में परमाणु तकनीक समझने के लिए जाते
रहे।
किसी देश में उन्हें वांछित सफलता नहीं मिली। अंतत: नीदरलैंड की परमाणु लेबोरेटरी से उन्होंने महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाईं और परमाणु बम बनाने की दिशा में काम करने लगे। किसी तरह उन्होंने बम तो बना लिया लेकिन पाकिस्तानी सरकार इस बात को उजागर नहीं कर पा रही थी कि अब उनके पास भी बम है।
यदि वे उजागर करते तो दुनियाभर के देश उन पर प्रतिबंध लगा देते और उनका दानापानी रुक जाता और यदि उजागर नहीं करते तो भारत समेत पूरी दुनिया क्यों मानती कि उनके पास परमाणु बम हैं। ऐसे में लंबे समय तक
पाकिस्तानी हुकूमत और वैज्ञानिक अंदर ही अंदर घुटते रहे कि आखिर वे क्या करें!
अंतत: पाकिस्तान ने परीक्षण का निर्णय लिया और अपनी ताकत दुनिया को दिखाई। मगर इसी के साथ विवाद शुरू हो गया। पाकिस्तानी वैज्ञानिक एक्यू खान पर नीदरलैंड से बम बनाने की तकनीक चुराने के आरोप लगे। खान सफाई देते रहे लेकिन नीदरलैंड में उन पर मुकदमा चला। इससे दुनियाभर में पाकिस्तान की जमकर किरकिरी हुई।