PM Modi At 75: पाकिस्तान पर नेहरू-इंदिरा की नरमी से मोदी की सख्ती तक.. कैसे बदली आतंकिस्तान पर नीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर उनकी पाकिस्तान नीति चर्चा में है। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों की भाईचारे वाली नीति को बदलकर आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस अपनाया। सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक और सिंधु जल संधि पर सख्त रुख उनकी रणनीति की झलक देते हैं।
Publish Date: Wed, 17 Sep 2025 09:11:14 AM (IST)
Updated Date: Wed, 17 Sep 2025 11:24:53 AM (IST)
पाकिस्तान के आतंक के खिलाफ खड़े पीएम मोदी। (फाइल फोटो)HighLights
- मोदी ने आतंकवादियों और समर्थकों पर समान कार्रवाई अपनाई।
- सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक से कड़ा संदेश।
- पाकिस्तान के परमाणु ब्लैकमेल को मोदी ने सिरे से खारिज।
डिजिटल डेस्क। PM Modi's 75th Birthday: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर 2025 (आज) 75 वर्ष के हो गए हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा का सबसे सशक्त पहलू पाकिस्तान के प्रति उनके कड़े और अडिग रुख में नजर आता है। बीते एक दशक में मोदी ने भारत की विदेश नीति को दशकों से चली आ रही पारंपरिक कूटनीति से निकालकर सीधे, दृढ़ और स्पष्ट संदेश वाली रणनीति में बदल दिया है।
आजादी के बाद से अब तक चली आ रही 'भाईचारे और मेल-मिलाप' वाली नीति से मोदी का रुख सशक्त भारत की छाप छोड़ता है। मोदी ने आतंकवाद और उसके सरपरस्तों के खिलाफ भारत की धैर्य रखने की आदत को पीछे छोड़ लगातार आक्रामक कदम उठाए हैं।
पाकिस्तान के खिलाफ चुनी अतीत से अलग राह
- स्वतंत्रता के बाद दशकों तक भारत की पाकिस्तान नीति भाईचारे और समझौते की भावना पर टिकी रही। 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पाकिस्तान को भारत का 'दिल और बाजू' कहकर संबोधित किया था। उनके इसी नीति के कारण 1958 का नून-नेहरू समझौता और 1960 की सिंधु जल संधि जैसे फैसले हुए।
- प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी अपने पिता की ही नीति पर आगे बढ़ीं। फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में 1971 में पाकिस्तान पर भारत ने बड़ी सैन्य जीत हासिल कर ली। हमारे पास 90 हजार से अधिक पाकिस्तानी युद्धबंदी थे, लेकिन मैदान पर जीती लड़ाई टेबल पर हार गए। इंदिरा गांधी ने उन 90 हजार युद्धबंदियों को को बिना किसी कश्मीर समझौते के रिहा कर दिया।
यही रवैया आगे भी जारी रहा। 2008 में मुंबई में भयानक आतंकी हमला हुआ। इसमें 160 से अधिक लोग मारे गए, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह स्वतंत्रता दिवस भाषण में पाकिस्तान का नाम भी नहीं ले सके।
लेकिन 2014 के बाद नरेंद्र मोदी ने इस नीति को पलटकर रख दिया। उन्होंने बार-बार कहा कि अब 'गलत' की कोई जगह नहीं है। उनकी रणनीति शब्दों से निकलकर शक्ति का रूप लेकर जमीन पर दिखाई पड़ती है। मोदी युग की नई परिभाषा
मोदी सरकार की पाकिस्तान नीति कई स्तरों पर अडिग और कठोर रही है....
- आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस: मोदी ने साफ कर दिया कि भारत आतंकवादियों और उनके समर्थकों में भेद नहीं करेगा। उनको शरण देने वालों को भी जवाब देना होगा।
- सीधे पलटवार: 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक और हालिया ऑपरेशन 'सिंदूर' इसके उदाहरण हैं। भारत ने सीमा पार जाकर पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की।
- परमाणु ब्लैकमेल को ठुकराना: पाकिस्तान की परमाणु धमकियों को मोदी ने सिरे से खारिज किया। उनका बयान 'खून और पानी साथ नहीं बह सकता' इसी का संकेत था।
- संधियों पर पुनर्विचार: बड़े आतंकी हमलों के बाद उनकी सरकार ने सिंधु जल संधि को रोक दिया।
- कूटनीतिक अलगाव: पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर आतंकवाद का समर्थन करने वाले देश के रूप में पेश कर भारत ने उसे राजनीतिक और आर्थिक रूप से घेरने की कोशिश की।
- जनता को संदेश: सरकार से सख्ती के साथ-साथ पाकिस्तान की जनता से आतंकवाद छोड़कर शांति और समृद्धि के रास्ते पर चलने की अपील मोदी बार-बार करते रहे।
पाकिस्तान के खिलाफ मोदी के आक्रामक भाषण
- मोदी के बयान भी उनकी नीति का प्रतिबिंब हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भुज में एक रैली में उन्होंने कहा कि 'शांति से रहो और रोटी खाओ, वरना मेरी गोली तैयार है।' यह सिर्फ राजनीतिक बयान नहीं है। यह उस बदलते भारत का प्रतीक है, जिसने पाकिस्तान पोषित आतंकवाद पर संयम की जगह आक्रामक नीतियों को चुन लिया है।
- सिंधु जल संधि पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि 'भारत के पानी पर हक सिर्फ भारत के किसानों का है। हमारे संसाधन दुश्मन देश को नहीं जाएंगे।' उनके अनुसार, यह संधि भारतीय किसानों के साथ अन्याय थी।
राष्ट्रीय उम्मीदों का प्रतिबिंब
- नेहरू का दौर भाईचारे और संयम का था। मोदी का दौर दृढ़ता और निवारण का प्रतीक है। उन्होंने बार-बार कहा कि भारत शांति चाहता है, लेकिन शांति तभी संभव है, जब पाकिस्तान आतंकवाद से दूरी बनाए।
- मोदी के 75वें जन्मदिन पर उनका यह कड़ा रुख बदलते भारत और जनता की नई अपेक्षाओं का भी आईना है। उनकी नीतियों ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को नई परिभाषा दी है। यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब किसी भी कीमत पर अपनी सुरक्षा और हितों से समझौता नहीं करेगा।