Punjab में जमीन का खेल… मां-बेटे ने बेच डाली World War 2 के दौरान बनी हवाई पट्टी, अधिकारियों की भी मिलीभगत, 28 साल बाद FIR
Firozpur Army Land Case: खबर पंजाब के फिरोजपुर से है। आरोपी मां और बेटे ने जमीन को अपना बताकर 1997 में बेच दिया था, जबकि जमीन के असल मालिक की 1991 में ही मौत हो गई थी। इस जमीन का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना ने 1962, 1965 और 1971 की लड़ाइयों में किया था।
Publish Date: Tue, 01 Jul 2025 11:27:35 AM (IST)
Updated Date: Tue, 01 Jul 2025 11:27:35 AM (IST)
पंजाब हाई कोर्ट की फटकार के बाद एफआईआर दर्ज हुई है। (सांकेतिक तस्वीर)HighLights
- पाकिस्तान सीमा के बेहद पास है यह जमीन
- रिटायर्ड राजस्व अधिकारी ने की शिकायत
- हाई कोर्ट ने कलेक्टर को लगाई फटकार
ब्यूरो, फिरोजपुर Firozpur Army Land Case। पंजाब में सेना से जुड़ी जमीन को फर्जी दस्तावेज बनाकर बेचे जाने का मामला सामने आया है। घपला 28 साल पहले हुआ था। बार-बार इसकी शिकायत की गई, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुई तो याचिकर्ता को हाई कोर्ट का रुख करना पड़ा।
शिकायतकर्ता का नाम निशान सिंह है, जो खुद भी रिटायर्ड रेवेन्यू अधिकारी हैं। अब तक की जानकारी के मुताबिक, शिकायतकर्ता निशान सिंह ने सबसे पहले 2021 में यह मुद्दा उठाया था। यहां वहां फरियाद करने के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो हाई कोर्ट का रुख किया।
क्या है पंजाब में हवाई पट्टी की जमीन बेचने का पूरा मामला
- हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान हैरान करने वाली जानकारी सामने आई। इसके मुताबिक, जमीन का सौदा 1997 में किया गया। इसके लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया।
- जमीन का यह टुकड़ा इसलिए बहुत खास है, क्योंकि इस पर जमीन वर्ल्ड वॉर-2 के समय हवाई पट्टी बनी थी, जिसे भारतीय वायुसेना ने 1962, 1965 और 1971 की लड़ाइयों में इस्तेमाल किया था।
- यह जमीन फिरोजपुर जिले में पाकिस्तान की सीमा से सटे फत्तूवाला गांव में स्थित है। 1945 में ब्रिटिश प्रशासन ने इसे अधिग्रहित किया था, लेकिन 1997 में आरोपी उषा अंसल और उनके बेटे नवीन चंद ने खुद को जमीन का मालिक बताकर बेच दिया।
- सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि पहले यह जमीन मदन मोहन लाल के नाम पर थी, जिनकी 1991 में मौत हो चुकी थी। हालांकि फर्जी दस्तावेजों में जमीन की बिक्री 1997 में दिखा दी गई।
- इसके बाद 2009-10 की जमाबंदी में कई नए नाम जोड़ दिए गए, जबकि सैन्य विभाग ने कभी जमीन ट्रांसफर ही नहीं की थी। अब हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
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राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा: हाई कोर्ट
मामले में 28 साल बाद एफआईआर दर्ज हुई है। जस्टिस हरजीत सिंह ब्रार ने जिला कलेक्टर को फटकार लगाई और कहा कि इस तरह की लापरवाही से राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है।
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