नई दिल्ली। जेब्रा की प्रजाति क्यूगा जो सवा सौ साल पहले विलुप्त हो गई थी, दक्षिण अफ्रीका के विज्ञानी डीएनए की मदद से इसे फिर अस्तित्व में ले आए हैं। एक समय दक्षिण अफ्रीका के मैदानों में हजारों क्यूगा झुंड में विचरण करते थे लेकिन अंधाधुंध शिकार के कारण 1883 में इनका अस्तित्व समाप्त हो गया।
छह क्यूगा तैयार
यूनिवर्सिटी ऑफ केपटाउन के विज्ञानियों ने प्रोफेसर एरिक हार्ले के नेतृत्व में गहन शोध किया तथा डीएनए की मदद से विशेष प्रजनन प्रक्रिया के जरिये ऐसा जानवर पैदा कर दिया जो आनुवांशिक रूप से बिल्कुल क्वेगा जैसा है। ऐसे छह क्यूगा पैदा किए जा चुके हैं। इस मिशन से तीस साल से जुड़े रीनहोल्ड राउ ने बताया कि इनका नाम रखा गया राउ क्यूगा।
सामने से जेब्रा, पीछे से घोड़े जैसा
यह सामने से जेब्रा लेकिन पीछे से देखने पर एकदम घोड़े जैसा दिखता है। किसी समय कारू तथा दक्षिणी फ्री स्टेट में इनकी बहुतायत थी। बड़ी संख्या में यूरोपीय लोगों का दक्षिण अफ्रीका में आ बसना इन पर भारी पड़ गया। वे नहीं चाहते थे कि क्यूगा उनके मैदानों, खेतों में आकर उनके पालतू पशुओं के हिस्से का घास चरे, इसलिए बेरहमी से इनका शिकार शुरू कर दिया गया।
1883 में अंतिम जानवर की मौत
एम्सटर्डम के चिड़ियाघर में 12 अगस्त, 1983 को जब अंतिम क्यूगा की मौत हुई तब किसी को पता नहीं था कि धरती पर इस प्रजाति का प्राणी फिर दिखाई नहीं देगा। 1986 में दक्षिण अफ्रीका सरकार ने क्यूगा के संरक्षण के लिए विधेयक पारित करके कानून बनाया लेकिन उसे भी मालूम नहीं था कि इस प्रजाति का अंतिम जानवर तीन साल पूर्व मर चुका है।
बड़ी तादाद संभव
नए शोध से उत्साहित क्यूगा प्रोजेक्ट की वेबसाइट पर कहा गया है कि इस प्रजाति के जीन को ध्यान में रखते हुए कुछ खास प्रजातियों को साथ रख कर बड़ी संख्या में क्यूगा पैदा किए जा सकते हैं।
विरोध भी शुरू
इस प्रोजेक्ट का विरोध भी हो रहा है। कहा गया है कि सब तमाशा हो रहा है, अनुसंधानकर्ताओं ने व्यवहार और पारिस्थितिक स्वीकार्यता को जाने बिना जेब्रा की नई नस्ल पैदा कर दी।