तिरुवनंतपुरम। हाल ही में जाति पर एक सर्वे हुआ था। सर्वे में बताया गया कि इस आधुनिक वक्त में भी 27 प्रतिशत भारतीयों के व्यवहार में छुआछूत जैसी बुराई है। सर्वे के मुताबिक भारत में कई स्तरों पर जाति को लेकर भेदभाव मौजूद है।
इसी सर्वे का जिक्र करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने हफिंगटन पोस्ट में एक लेख लिख भारत में जातीय सोच पर अपने स्कूली दिनों के दिलचस्प अनुभव को बताया है।
शशि थरूर ने अपने स्कूल के अनुभव का जिक्र करते हुए इस लेख में लिखा है, "तब 10 साल का था। मैं छठी क्लास में था। स्कूलों में क्लासों के बीच आयोजित ड्रामा इवेंट में मैं अपनी क्लास को लीड कर रहा था। आठवीं क्लास से चिंटू (ऋषि) कपूर थे।
वह फिल्मकार राज कपूर के सबसे छोटे बेटे थे। बाद में ऋषि कपूर भी अपने पिता के पेशे में शिफ्ट हो गए। मैंने उस इवेंट में एक कविता बोली थी। मेरी भूमिका से क्लास की और मेरी जमकर तारीफ हुई। छोटे कपूर नाराज और अनमने से दिख रहे थे। अगली सुबह छोटे कपूर मुझे खोज रहे थे।"
ऋषि कपूर ने मुझसे टॉइलट के पास पूछा, "तुम्हारी जाति क्या है? मुझे इस सवाल से घबराहट हुई। मैंने हकलाते हुए कहा कि मुझे नहीं पता। मेरे पिता ने किसी धर्म और जाति के बारे में नहीं बताया। इसके बारे में मुझसे अब तक किसी ने पूछा नहीं था। उस अभिनेता पुत्र ने मुझसे चौंकते हुए पूछा, "तुम्हें खुद की जाति पता नहीं है। मतलब तुम अपनी जाति ही नहीं जानते?"
चिंटू ने कहा कि हर इंसान अपनी जाति को जानता है। मैं अफसोस के साथ शर्मिंदा था। चिंटू ने कहा, "मतलब तुम ब्राह्मण या कुछ और नहीं हो?" थरूर ने लिखा है, "मैं इस चीज को कभी स्वीकार नहीं कर सका। चिंटू कपूर ने स्कूल में फिर मुझसे कभी बात नहीं की। मैं शाम को घर पहुंचा। मैंने अपने पिता से इस बारे में पूछा।
तब मेरे पिता ने बताया था कि हम नायर हैं। यह मेरे खानदान के पास्ट के बारे में जानने का पहला मौका था।
मेरे पिता मलयाली न्यूज पेपर में एग्जीक्युटिव थे। उन्होंने कॉलेज के दिनों में जाति सूचक टाइटल नायर महात्मा गांधी से प्रभावित होकर छोड़ दिया था। मैं राष्ट्रवादी पीढ़ी का प्रोडक्ट हूं। इसलिए जाति को हमेशा के लिए भूल चुका हूं।"
थरूर ने जातीय भेदभाव पर हुए सर्वे का हवाला देते हुए इस लेख में लिखा है कि हर तीसरे हिन्दू ने जाति के नाम पर भेदभाव करने की बात कबूली है। ये लोग अपने रसोई घर में दलितों को नहीं आने देते। थरूर ने कहा कि भारत में छुआछूत केवल हिन्दुओं में ही नहीं बल्कि मुस्लिमों, सिखों और ईसाइयों में भी है।
इस सर्वे के तथ्यों से थरूर को लगता है कि भारत में जाति शायद ही कभी खत्म हो। हालांकि वह उम्मीद करते हैं कि आने वाले वक्त में जातियों का प्रभाव कम होगा।