मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों पर मिसाल है शाहबानो केस
1985 के चर्चित शाहबानो केस में मुस्लिम महिला के कानूनी तलाक के भत्ते को लेकर देशव्यापी राजनीतिक विवाद उठा था।
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Publish Date: Thu, 29 Oct 2015 12:00:57 AM (IST)
Updated Date: Thu, 29 Oct 2015 12:02:11 AM (IST)

नई दिल्ली। 1985 के चर्चित शाहबानो केस में मुस्लिम महिला के कानूनी तलाक के भत्ते को लेकर देशव्यापी राजनीतिक विवाद उठा था। मध्यप्रदेश के इंदौर की रहने वाली पांच बच्चों की मां 62 वर्षीय मुस्लिम महिला शाहबानो को उसके पति मोहम्मद खान ने 1978 में तलाक दे दिया था।
उसके बाद शाहबानो ने गुजारा भत्ता पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक मामला दर्ज किया था। उसने अपने पति के खिलाफ गुजारे भत्ते का केस जीत भी लिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को देश में राजनीतिक जामा पहना दिया गया।
मुस्लिम महिला के पक्ष में आए फैसले को मुस्लिम समाज ने सिरे से नकार दिया। लिहाजा, कट्टरपंथी मुसलमानों के दबाव में संसद में सर्वोच्च अदालत के इस फैसले को बदल दिया गया। वहीं देश के कानून के साथ-साथ विभिन्न धर्मों के सिविल कोड चलने पर भी भारी विवाद हुआ।
इसके कारण तत्कालीन पूर्ण बहुमत वाली कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक में संरक्षण का अधिकार) अधिनियम, 1986 पारित किया। इसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले को थोड़ा हल्का किया गया था। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट में ऐसे ही डेनियल लतीफी और शमीमा फारुखी के दो मामलों में शाहबानो केस का हवाला दिया गया। साथ ही मुस्लिम महिलाओं के (तलाक पर संरक्षण के अधिकार) अधिनियम,1986 को निरस्त कर दिया गया।