सिंहल ने पैतृक घर में खुलवाई धर्मशाला
विहिप संरक्षक के पिता अंग्रेजी हुकूमत में डीएम थे।
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Publish Date: Tue, 17 Nov 2015 09:27:25 PM (IST)
Updated Date: Tue, 17 Nov 2015 09:28:01 PM (IST)

अलीगढ़। विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक अशोक सिंहल ने समाज के लिए ही पूरा जीवन झोंक दिया। अंग्रेजी हुकूमत में डीएम रहे उनके पिता बैजनाथ ने भी अलीगढ़ के पैतृक गांव की पूरी जमीन भाइयों को दे दी थी। किसी दूसरी संपत्ति में भी हिस्सा नहीं लिया। जो घर था, उसमें अशोक सिंहल ने पिता के नाम धर्मशाला खुलवा दी।
गांव में करीब 40 बीघा जमीन खरीदकर दो स्कूल भी खुलवाए। यहां 200 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। मंगलवार दोपहर जैसे ही सिंहल के निधन की खबर आई, पूरा गांव शोक में डूब गया। गांव में रह रहे चचेरे भाई अंतिम दर्शन के लिए शाम को दिल्ली रवाना हो गए।
अलीगढ़ जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर अतरौली क्षेत्र का बिजौली अशोक सिंघल का पैतृक गांव है। गांव में चचेरे भाई महाराणा प्रताप, नरेश व अनिल रहते हैं। महाराणा प्रताप बताते हैं कि ताऊ महावीर सिंह की आठ संतानों में से अशोक चौथे नंबर के थे।
भाइयों में सबसे बड़े प्रमोद कुमार, दूसरे नंबर पर विनोद कुमार, तीसरे आनंद प्रकाश, चौथे अशोक सिंहल, पांचवीं बहन ऊषा, छठवें पर बीपी सिंहल, सातवें पीयूष सिंहल व सबसे छोटे विवेक सिंहल थे। इनमें से सिर्फ आनंद प्रकाश ही हमारे बीच हैं।
अशोक सिंहल का जन्म आगरा में 27 सितंबर, 1927 को हुआ था। उस वक्त उनके पिता आगरा में डीएम थे। पिता की तैनाती वाले शहरों में उनकी पढ़ाई-लिखाई होती रही। संघ से जुड़ने के बाद कई बार उनका गांव आना हुआ। 27 मई, 2007 को अपने पिता की मूर्ति की स्थापना के लिए आखिरी बार आए थे। पैतृक घर में मूर्ति स्थापित करते हुए घर को धर्मशाला के लिए दे गए।