अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा के सिरसा लोकसभा क्षेत्र को एक समय यहां पांच बार के सीएम रह चुके ओमप्रकाश चौटाला का गढ़ा समझा जाता है। पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल भी चौटाला के ही रहने वाले थे। इस सीट पर इस बार रोचक मुकाबला है। आइये समझते हैं कि इस बार यहां क्या समीकरण है।
यह लड़ाई दो ऐसे प्रत्याशियों के बीच है जो कि प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। कांग्रेस से कुमारी सैलजा हैं और बीजेपी से अशोक तंवर हैं। ये दोनों ही यहां से पहले लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।
भाजपा ने सुनीता दुग्गल का टिकट काटकर इस बार तंवर को मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी दलबीर सिंह की बेटी कुमारी सैलजा भी किस्मत आजमा रही है। जहां तक अशोक तंवर की बात है, वे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से नाराज़ होकर पहले कांग्रेस से टीमएसी में गए, फिर खुद की पार्टी बनाई। फिर आम आदमी पार्टी में गए।
अब वे भाजपा में शामिल हो गए हैं। तंवर और सैलजा के बीच समानता यह है कि दोनों एक समय हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। अजा वोटों में इनकी पकड़ है। इनलो ने सिरसा से संदीप लोट व पूर्व विधायक रमेश खटक को सामने किया है। दोनों का ही कोई जनाधार नहीं है।
दूसरी तरफ सैलजा के लिए हुड्डा का खेमा परिश्रम नहीं कर रहा है। हालांकि उनके लिए रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी, भिवानी से पूर्व सांसद श्रुति चौधरी व पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह परिश्रम कर रहे हैं। ओमप्रकाश चौटाला के राजनीतिक उत्तराधिकारी ऐलनाबाद से एमएलए अभय सिंह चौटाला हैं। पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी सिरसा में बहुत सक्रिय नहीं हैं।
सिरसा संसदीय क्षेत्र में पंजाबी एवं बागड़ी वोट बैंक पर कांग्रेस व भाजपा का फोकस है। सिरसा सीट पर जाट मतदाताओं की संख्या 3 लाख 60 हजार है। यहां 8.13 लाख वंचित वर्ग के मतदाता हैं।
जट सिखों की संख्या यहां करीब 2 लाख हैं, जबकि पंजाबी समुदाय में खत्री, अरोड़ा और मेहता वोटों की संख्या लगभग 2 लाख है। यहां वैश्य मतदाता एक लाख हैं और कंबोज 90 हजार हैं।
ओबीसी के तहत आने वाले सैनी, कुम्हार, अहीर, गुर्जर, खाती और सुनार मतदाताओं की संख्या यहां पर करीब डेढ़ लाख के आसपास है।
कुमारी सैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह चार बार तो कुमारी सैलजा दो बार सांसद रही हैं, जबकि अशोक तंवर छात्र राजनीति से लेकर लोकसभा की राजनीति कर चुके हैं।