ब्यूरो, भागलपुर। भारत में शुगर यानि डायबिटीज के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में डायबिटीज होने की वजह से अक्सर मरीज मीठा खाना पूरी तरह से छोड़ देते हैं। आम के सीजन में भी वो आम का स्वाद नहीं ले पाते हैं। ऐसे में डायबिटीज के मरीज भी अब आम खाने की कसर पूरी कर सकेंगे। दिल खोलकर वे इस बार आम खा सकेंगे, दरअसल भागलपुर के बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में शुगर फ्री आम पर अनुसंधान शुरू किया जा रहा है। अब शुगर के मरीज भी आम का स्वाद ले सकेंगे।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर भागलपुर इस पर अनुसंधान करने की बड़ी कार्ययोजना तैयार कर रहा है। जिसमें वरीय विज्ञानियों की टीम हाइटेक लैब में गहन अध्ययन करेगी। इतना ही नहीं रोटी भी ग्लूटेन मुक्त हो इस पर भी रिसर्च किया जायेगा। 10 जून को 11वीं आम प्रदर्शनी बीएयू में लगाई गई थी। मुख्य अतिथि मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय कुमार ने आम के विकसित प्रभेदों पर चर्चा करते हुए उन्होंने शुगर फ्री आम पर रिसर्च की जरूरत बताई। मौके पर ही कुलपति डॉ. डी. आर सिंह ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए विश्वविद्यालय में रिसर्च करने की बात कही।
उसके बाद त्वरित इस पर पहल आरंभ कर दी गई है। वरीय अधिकारियों के साथ बैठक हो रही है। जल्द योजना धरातल पर उतरेगी और शुगर फ्री आम का प्रभेद विकसित होगा। साथ ही गेहूं में ग्लूटेन जैसे तत्व को निकालकर नये प्रभेद का विकास किया जायेगा। बता दें कि आम के रिसर्च में सबौर वर्षों से खास रहा है। देश में सबसे पहला हाइब्रिड आम की दो प्रभेद महमूद बहार और प्रभाशंकर सबौर कृषि महाविद्यालय से ही विकसित हुई थी। विश्वविद्यालय बनने के बाद आम का सिडलेस सहित कई प्रभेद विकसित किया है।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने कहा कि शुगर के रोगी भी आम खा सकें, ग्लूटेन जैसे तत्व से मुक्त गेहूं हो ऐसे प्रभेद के विकास पर काम आरंभ कर दिया गया है। विश्वविद्यालय मांग के अनुसार अनुसंधान का प्रयास कर रहा है। आने वाले समय में परिणाम दिखेगा।