Supreme Court Hearing on Board Exam। दसवीं और बारहवीं क्लास की आफलाइन परीक्षा रद करने की याचिका पर देश की शीर्ष अदालत फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर लताड़ लगाते हुए कहा कि इस तरह की याचिकाएं परीक्षार्थियों को भ्रमित करती है, इसलिए आगे से ऐसी याचिकाएं बिल्कुल न लगाएं। गौरतलब है कि इस याचिका को अनुभा सहाय श्रीवास्तव ने लगाया है और दलील दी है कि कोरोना महामारी के चलते शारीरिक कक्षाएं नहीं हुई हैं, इसलिए बोर्ड की परीक्षा ऑनलाइन होनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने सभी बोर्डों को समय पर परीक्षा परिणाम घोषित करने के निर्देश देने और विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के कारण सुधार परीक्षा का ऑप्शन देने की भी मांग की है।
आपको बता दें कि इससे पहले केंद्रीय बोर्ड जैसे CBSE, CISCE, NIOS सहित कई राज्यों के परीक्षा बोर्ड की कक्षा 10 और कक्षा 12 की वर्ष 2021-22 की बोर्ड परीक्षाओं के परंपरागत ऑफलाइन आयोजन पर रोक लगाए जाने की मांग वाली जनहित याचिका पर 23 फरवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने के आदेश दिए गए थे। वहीं चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ द्वारा इस चायिका पर न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अगुवाई वाली खण्डपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए प्रस्तुत किए जाने का आदेश 21 फरवरी 2022 को दिया गया था। आदेश 21 फरवरी 2022 को दिए गए थे।
सु्प्रीम कोर्ट के फैसले पर देशभर के छात्र-छात्राओं की निगाह
आज होने वाली सुनवाई पर देश के सभी परीक्षार्थियों की निगाह टिकी हुई है। देश भर के 15 राज्यों के छात्र-छात्राओं द्वारा एडवोकेट अनुभा सहाय श्रीवास्तव के माध्यम से दायर याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्रीय बोर्डों के साथ-साथ राज्यों परीक्षा बोर्ड को आदेश दिया जाए कि कक्षा 10 और 12 वीं की परीक्षाओं का आयोजन ऑफलाइन मोड में न किया जाए।
छात्रों की मांग, पढ़ाई ऑनलाइन तो परीक्षा भी ऑनलाइन
याचिका में दसवीं और बारहवीं के छात्र छात्राओं ने कहा है कि हमने पूरे साल ऑनलाइन मोड में पढ़ाई की और इसलिए परीक्षा भी ऑनलाइन मोड में ही होना चाहिए। साथ ही परीक्षाएं ऑनलाइन मोड में आयोजित करते हुए परिणामों की घोषणा समय से की जाए।