Surya Grahan Social Media Reactions: साल 2020 का आखिरी सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) 14 दिसंबर को है। हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, लेकिन धार्मिक मान्यताएं होने के कारण भारत में इसकी चर्चा है। सोशल मीडिया (इंटरनेट मीडिया) पर भी सूर्य ग्रहण ट्रेंड कर रहा है। यूजर्स बता रहे हैं कि सोमवती अमावस्या के दिन पड़ रहे इस सूर्य ग्रहण का कितना महत्व है और इस दिन पुण्य लाभ हासिल करने के लिए क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं। वहीं बड़ी संख्या में यूजर्स सोमवती अमावस्या की शुभकामनाएं भी दे रहे हैं। पढ़िए चुनिंदा सोशल मीडिया प्रतिक्रियाएं
सोमवती_अमावस्या मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि को किये गए जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल अक्षय होता है। सोमवती अमावस्या,रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी,बुधवारी अष्टमी ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।
सोमवती अमावस्या ( 14 दिसम्बर सूर्योदय से रात्रि 9-47 तक) सोमवती अमावस्या , रविवारी सप्तमी , मंगलवारी चतुर्थी , बुधवारी अष्टमी - ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं । इनमें किया गया स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है ।
इस बार साल के आखिरी सूर्य ग्रहण पर अगहन मास की सोमवती अमावस्या और पांच ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है। इस संयोग के कारण स्नान और दान का कई गुणा फल मिलेगा। मार्गशर्ष और अगहन मास की सोमवती अमावस्या होने के कारण इस ग्रहण का महत्व औऱ भी बढ़ गया है। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा।
सूर्यग्रहण हर वर्ष कम से कम चार बार और अधिकतम सात बार होता है। ग्रहण का उल्लेख कई सारे धर्मग्रंथों में भी है, जैसे ऋग्वेद में ऋषि अत्रि ने स्वरभानु नामक असुर द्वारा सूर्य को अपनी गिरफ्त में लेने की बात कही है। जिसकी वजह से पृथ्वी पर गहन अंधकार छा जाता है।
अगहन मास की सोमवती अमावस्या के साथ इस पूर्ण सूर्य ग्रहण में पांच ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र और केतु ग्रह वृश्चिक राशि में रहेंगे। हालांकि पूर्ण सूर्य ग्रहण का सूतक नहीं लगेगा।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रहण को आत्म कारक माना जाता है. यह आत्मविश्वास, व्यक्तित्व, पिता, सरकारी नौकरी, नेतृत्व आदि का कारक भी है. राशिचक्र की प्रथम राशि मेष में यह उच्च का होता है जबकि सप्तम राशि तुला में यह नीच अवस्था में माना जाता है। इतिहास में चलें, तो सूर्यग्रहण के साथ-साथ ही युद्ध चलता है। तमाम ऐसे बड़े युद्ध मिलते हैं, जिनकी शुरुआत ग्रहण के आसपास हुई है।
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