Corona Update: दुनिया भर में कोरोना संक्रमण से परेशानी के डेढ़ साल से ज्यादा गुजर चुके हैं, लेकिन आज किसी भी देश की सरकार ये कहने को तैयार नहीं कि उसका देश अब कोरोना से सुरक्षित है। आखिर इसकी वजह क्या है? ये बीमारी क्यों काबू में नहीं आ रही? ये खत्म क्यों नहीं हो रही? इसकी सबसे बड़ी वजह से कोरोना वायरस का लगातार अपना रुप बदलना। जब से कोरोना वायरस की शुरुआत हुई है, तब से अब तक ये चार बार स्वरुप बदल चुका है। इसके सैकड़ों वैरिएंट दुनिया भर में रिपोर्ट किये गये हैं, जिनमें से कुछ बेहद खतरनाक हैं। यही वजह है कि सरकारी एजेंसियां और स्वास्थ्य विभाग कोरोना के वैरिएंट की जांच करते और उसकी काट ढूंढते परेशान हो चुके हैं। अब ताजा अपडेट ये है कि अब से साल भर पहले कोरोना संक्रमण के दौरान मरीजों में जो लक्षण दिखते थे, उसमें भी काफी बदलाव आ चुका है। इसलिए बेहतर होगा कि आप भी उसे जान लें।
लक्षणों में क्या हुआ है बदलाव?
जैसे-जैसे वायरस विकसित हुआ है, ये सामने आ रहा है कि इसके सबसे सामान्य लक्षण भी बदल गए हैं। ताजा आंकड़े बताते हैं कि वायरस के डेल्टा स्वरूप से संक्रमित लोग, उन लक्षणों से अलग अनुभव कर रहे हैं जिन्हें वैश्विक महामारी की शुरुआत में कोरोना संक्रमण के साथ जोड़ कर देखा गया था। जैसे बुखार और खांसी हमेशा से कोविड के सबसे आम लक्षण रहे हैं। पहले सिरदर्द एवं गले में दर्द कुछ लोगों में दिखता था। लेकिन नाक बहने को कोरोना संक्रमण का लक्षण नहीं माना जाता था।
अब बहती नाक और सामान्य सर्दी भी डेल्टा वैरिएंट के लक्षणों में शामिल है। पहले सूंघने की शक्ति चली जाने को शर्तिया तौर पर कोविड का लक्षण माना जाता था, लेकिन अब ये नौंवे स्थान का लक्षण है। यानी 10 प्रमुख लक्षणों में ये सबसे नीचे है। तो अगर आपकी सूंघने की शक्ति बची हुई है, तो इसका मतलब ये नहीं कि आप संक्रमित नहीं हो सकते। इसके अलावा खांसी, गले में खराश, बुखार और सिरदर्द डेल्टा वैरिएंट के आम लक्षण हैं। इसके अलावा सर्दी और नाक बहना इसके अहम संकेत माने जा रहे हैं।
क्या है इसकी वजह?
दरअसल सभी मनुष्य एक-दूसरे से जुदा हैं। हमारी तरह हमारे प्रतिरक्षा तंत्र भी अलग-अलग हैं। यानी एक ही वायरस अलग-अलग लोगों में अलग-अलग संकेत एवं लक्षण उत्पन्न कर सकता है। संकेत वह है जो दिखता है, जैसे चकत्ते और लक्षण वह है जो महसूस होता है, जैसे गला खराब होना। वायरस किस तरह से बीमार करता है, यह दो अहम कारकों पर निर्भर करता है - वायरस की खुद की कॉपी बनाने की गति और संचरण का माध्यम।
वायरस के विकास के साथ वायरल कारक बदल जाते हैं। आयु, लिंग, दवाइयां, आहार, व्यायाम, स्वास्थ्य एवं तनाव आदि वायरस के विकास को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए जब भी हम वायरस के संकेतों एवं लक्षणों की बात करते हैं तो हम जो सामान्य हैं, उनकी बात कर रहे होते हैं। लेकिन ये सटीक नहीं होता। उदाहरण के लिए, बुजुर्गों में युवाओं से अलग लक्षण हो सकते हैं और अस्पतालों के मरीजों से ली गई जानकारी, घर में इलाज करा रहे मरीज से मिली सूचना से अलग हो सकती है।