डिजिटल डेस्क, इंदौर। Temple Connect: सामान्यजन के कल्याण के लिए विविध ज्ञान एवं इंटरफेस को जोड़ने वाले प्लेटफॉर्म के महत्व को समझकर आध्यात्मिक जुड़ाव पर फोकस करते हुए गिरेश कुलकर्णी ने वर्ष 2016 में टेम्पल कनेक्ट की स्थापना की। इसमें विशेषरूप से विभिन्न मंदिरों को केंद्र में रखा गया है। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से सरलता से जानकारी प्रदान की गई है। समृद्ध अवधारणाएं साझा की गई हैं और मंदिर से जुड़े व्यक्तिगत अनुभव साझा किए गए हैं।
टेम्पल कनेक्ट का कंटेंट विभिन्न मंदिरों से जुड़ी कथाओं को सामने लाता है। आकाशीय पिंडों से उनके जुड़ाव को बताता है, विभिन्न अनुष्ठानों को स्पष्ट करता है। इससे यूजर्स को अपनी आध्यात्मिक प्रक्रियाओं के उन पहलुओं को समझने में मदद मिलेगी, जिनमें सुधार की आवश्यकता है और उन्हें भ्रम दूर करने में भी सहायता मिलेगी।
गिरेश कुलकर्णी ने बताया कि यह प्लेटफॉर्म बस डॉक्यूमेंटेशन नहीं है, यह यूजर्स को जप, मंत्रोच्चारण और अनुष्ठान जैसी आध्यात्मिक गतिविधियों में भी सहायता करेगा। समस्याओं के समाधान एवं भाग्य के लिखे को सुधारने के लिए टोटका जैसी पारंपरिक प्रक्रियाओं का लाभ लेते हुए इस प्लेटफॉर्म पर उन्हें व्यावहारिक एवं अर्थपूर्ण समाधान मिलेगा।
उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास विभिन्न फॉर्मेट के माध्यम से उन अवधारणाओं की व्याख्या करना और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सुनिश्चित करना है। इस पहल के माध्यम से जुटाई गई जानकारियों के इस खजाने को टेंपल कनेक्ट के माध्यम से प्रसारित किया जाता है, जो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों तक पहुंचती है। गिरेश कुलर्णी ने कहा, 'हमारा लक्ष्य लोगों की समस्याओं एवं उनके प्रश्नों का समाधान प्रदान करना ही नहीं, बल्कि उनसे एक संबंध स्थापित करना भी है।'
गिरेश कुलकर्णी ने बताया कि टेक्नोलॉजी, ऑग्मेंटेड रियलिटी (एआर), वर्चुअल रियलिटी (वीआर) और वर्चुअल टूल्स के क्षेत्र में एडवांसमेंट से लोगों के समक्ष अपार संभावनाएं खुली हैं। कोई तीर्थस्थल नजदीक हो, तो वहां जाना तो आसान होता है। कई बार इंटरनेशनल ट्रैवल, कनेक्टिविटी, बड़ी उम्र या पैसों की कमी के कारण कुछ तीर्थस्थलों पर पहुंच पाना सभी के लिए संभव नहीं हो पाता है।
ऐसी स्थिति में एआर और वीआर टेक्नोलॉजी की मदद से समाधान मिल सकता है। भारतीय हिंदू परिवारों में मंदिर जाने की बहुत महत्ता है। अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से इसमें बड़ी मदद मिली है। महाकाल मंदिर इसका उदाहरण है, जहां अत्याधुनिक रिकॉर्डिंग सिस्टम और एडवांस्ड वीआर हेडसेट लगाए गए हैं।
इस टेक्नोलॉजी ने भौगोलिक सीमाओं को तोड़ते हुए भक्तों के लिए दुनिया में कहीं भी रहते हुए आसानी से मंदिर के दर्शन को सुलभ बनाया है। इसमें यूजर्स की सुविधा, सहूलियत और पैसे के हिसाब से उनकी जरूरतों को पूरा किया जाता है। यह प्रक्रिया ऐसे लोगों के लिए विशेषरूप से लाभकारी सिद्ध हुई है, जो किसी कारण से शारीरिक रूप से तीर्थस्थलों पर नहीं जा पाते हैं।
हालांकि इस बात को भी समझना होगा कि वर्चुअल टूल शारीरिक रूप से किसी मंदिर जाने का विकल्प नहीं हो सकता है। लेकिन इनसे किसी मंदिर में होने की मानसिक संतुष्टि अवश्य मिलती है। जैसे टेलीविजन पर कोई पसंदीदा व्यंजन देखकर मुंह में पानी आ जाता है, उसी तरह यह वर्चुअल टूर भी मंदिर में होने का अनुभव कराता है और भविष्य में शारीरिक रूप से वहां जाने के उत्साह को बढ़ाता है।
वर्चुअल टूर केवल सुविधजनक तरीके से मंदिर को देख लेने का ही मामला नहीं है, बल्कि यह ऐसे भक्तों के लिए एक पुल का काम करता है, जो शारीरिक कारणों से मंदिर जाने में अक्षम है। इससे उन्हें वही आध्यात्मिक शांति मिलती है, जो व्यक्तिगत रूप से मंदिर जाने पर मिलती है।