भारत में सालों तक राज करने वाले अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में कई चर्च बनवाए। अंग्रेजों के बनवाए चर्च आपको आज भी दिख सकते हैं। लेकिन आपको अंग्रेजों का बनवाया मंदिर शायद ही कहीं दिखे। हालांकि अंग्रेजों ने एक शिव मंदिर की मरम्मत कराकर उसकी काया बदल दी थी। यह मंदिर आज भी मध्यप्रदेश के मालवा में मौजूद है। अंग्रेजों के शासनकाल में भारत में पुनर्स्थापित किया गया यह इकलौता हिंदू मंदिर है।
लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन ने साल 1880 में मालवा स्थित हिंदू मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था। भगवान शिव ने अफगान युद्ध में उनकी जान बचाई थी। इसके बाद ही वो भोलेनाथ के बड़े भक्त बन गए थे। दरअसल अफगान युद्ध में फंसने के बाद कर्नल मार्टिन लगातार अपनी पत्नी को पत्र लिखकर हालात का जायजा देते रहते थे। युद्ध लंबा चल रहा था और अचानक ही कर्नल मार्टिन की पत्नी को उनके पत्र मिलने बंद हो गए। पति के खत न मिलने पर मालवा में बैठी उनकी पत्नी की चिंता लगातार बढ़ रही थी।
मन की शांति के लिए मिसेज मार्टिन घुड़सवारी करने लगीं। एक दिन वो बैजनाथ मंदिर के पास से गुजर रही थीं। इस समय मंदिर की हालत जर्जर थी, पर आरती का समय था और चारों ओर शंख की आवाज और मंत्रों का जाप गूंज रहा था। ये नजारा देख मिसेज मार्टिन भगवान शिव की पूजा देखने के लिए वो मंदिर में चली गईं।
मंदिर के पुजारी मिसेज मार्टिन की चिंता पकड़ ली और बड़ी विनम्रता से पूछा, 'आपके साथ क्या बुरा हुआ है?' मिसेज मार्टिन पुजारी को अपनी कहानी बताई तो पुजारी ने कहा कि भगवान शिव किसी को निराश नहीं करते। पुजारी ने उन्हें 11 दिनों तक 'ओम नम: शिवाय' मंत्र का जाप करने की सलाह दी। मिसेज मार्टिन ने भगवान शिव से अपने पति के सही-सलामत वापस लौटने की दुआ मांगी और कहा कि अगर उनके पति अफगान युद्ध से सुरक्षित वापस लौटे तो वो इस मंदिर को रेनोवेट करवाएंगी।
10 दिन बाद कर्नल मार्टिन का खत उनकी पत्नी को मिला। पत्र में लिखा था, "युद्ध के दौरान मैं तुम्हें लगातार पत्र लिख रहा था, लेकिन पठानों की सेना ने हमें अचानक से घेर लिया था। मुझे लगा हमारे पास बच निकलने का अब कोई मौका नहीं रह गया है। लेकिन इस रणभूमि में मैंने अपनी आंखों से एक चमत्कार होते हुए देखा है।" ये संदेश पढ़ते ही मिसेज मार्टिन की आंखों से खुशी के आंसू छलक उठे। वह भगवान शिव की प्रतिमा के चरणों में लेट गई और रोने लगी। जब कर्नल मार्टिन वापस लौटे तो उनकी पत्नी ने उन्हें पूरी कहानी सुनाई।
साल 1883 में मंदिर को रेनोवेट कराने के लिए दोनों ने 15,000 रुपए दान दिए, जो उस वक्त मामूली राशि नहीं थी। यह जानकारी आज भी बैजनाथ महादेव मंदिर में रखे एक पत्थर पर लिखी हुई है। इसके साथ ही मिस्टर और मिसेज मार्टिन इस प्रण के साथ ब्रिटेन के लिए रवाना हुए कि वे अपने घर पर एक शिव मंदिर बनाएंगे और उनकी पूजा-आराधना करेंगे।