Throwback Story: भारत दुनिया के कुछ सबसे सफल व्यापारियों का घर है। रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी, उद्योगपति रतन टाटा, महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा, एचसीएल के संस्थापक शिव नादर, भारतीय आईटी सीजर अजीम प्रेमजी, अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी कुछ सबसे सफल बिजनेस टायकून हैं। जिन्होंने तेल से लेकर आईटी सेक्टरों में देश की प्रगति में योगदान दिया है। हालांकि, बहुत से लोगों को इसका पता नहीं हैं कि कुछ सबसे सफल भारतीय व्यापारियों का पाकिस्तान के साथ संबंध था। वाडिया समूह के अध्यक्ष नुस्ली वाडिया वास्तव में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के पोते हैं। जब विभाजन हुआ, तो वाडिया की मां, जिन्ना की बेटी दीना ने पाकिस्तान जाने के बजाय अपने पति के साथ भारत में रहने का फैसला किया।
विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी का संबंध भी पाक से है। अगर प्रेमजी के पिता ने पाकिस्तान की पहली कैबिनेट में शामिल होने के प्रस्ताव को अस्वीकार नहीं किया होता, तो भारत का, दुनिया का सबसे परोपकारी बिजनेसमैन वास्तव में पाकिस्तानी ही होता। अजीम हाशिम प्रेमजी, अनौपचारिक रूप से भारतीय आईटी उद्योग के सीजर के रूप में जाने जाते हैं, जो भारतीय व्यापार जगत के सबसे प्रतिष्ठित लोगों में से एक हैं। प्रेमजी के पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी एक प्रसिद्ध व्यवसायी थे और उन्हें बर्मा के राइस किंग के रूप में जाना जाता था। वह अपने परिवार के साथ भारत चले गए और मुंबई में राइस ट्रेडिंग शुरू की।
1945 में प्रेमजी सीनियर ने महाराष्ट्र के जलगांव जिले के एक छोटे से शहर अमलनेर में स्थित वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड को शामिल किया। कंपनी ब्रांड नाम सनफ्लावर वानस्पती के तहत खाना पकाने के तेल का निर्माण करती थी, और 787 नामक एक कपड़े धोने का साबुन, तेल निर्माण का उत्पादन शुरू किया। जब विभाजन हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया, तो कहा जाता है कि पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने मोहम्मद हाशिम प्रेमजी को पाक आने का निमंत्रण दिया। हालांकि, प्रेमजी ने अनुरोध ठुकरा दिया और भारत में ही रहना पसंद किया। विज्ञान पत्रकार दिनेश शर्मा की किताब 'द लॉन्ग रेवोल्यूशन- द बर्थ और ग्रोथ ऑफ इंडिया' में इस बात का पूरा जिक्र है।
वहीं अन्य किताब 'प्लानिंग फॉर पाकिस्तान : द प्लानिंग समिति ऑफ द ऑल इंडिया मुस्लिम लीग 1943-46' में कहा गया है कि प्रेमजी ने कंपनी की स्थापना 1945 में की थी। वह मुंबई में एक प्रमुख चावल व्यापारी और कमीशन एजेंट थे। सितंबर 1944 में जब मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिम लीग (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राष्ट्रीय योजना समिति की तर्ज पर) की योजना समिति का गठन किया, तो उन्होंने हाशम प्रेमजी को इसका हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया। इसमें आगे कहा गया है, लेकिन प्रेमजी लीग में औपचारिक रूप से व्यक्तिगत और व्यावसायिक कारणों से शामिल नहीं होना चाहते थे।
एक अन्य किस्से में कहा गया है कि जिन्ना ने प्रेमजी को पाकिस्तान का वित्तमंत्री बनाने का प्रस्ताव कर दिया था। जिसे मोहम्मद हाशिम ने अस्वीकार कर दिया। वह भारत में रहना का फैसला किया। बता दें अजीम प्रेमजी एक कॉलेज ड्रॉपआउट हैं। वह 1996 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया में पढ़ रहे थे। जब उन्हें अपने पिता के आकस्मिक निधन के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। वह परिवार के व्यवसाय की देखभाल करने लगे। उन्होंने वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड (अब विप्रो) के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला और विप्रो की स्थापना करके अरब डॉलर का साम्राज्य बनाया।