
डिजिटल डेस्क: वंदे भारत एक्सप्रेस, जिसे भारतीय रेल की सबसे आधुनिक और तेज ट्रेन कहा जाता है, उस ट्रेन में यात्रियों को हावड़ा स्टेशन पर भयावह स्थिति का सामना करना पड़ा। तकनीकी खराबी के कारण ट्रेन के दरवाजे नहीं खुले और इमरजेंसी बटन भी बेअसर रहा। इस दौरान एसी और लाइटें बंद हो जाने से कोच में अंधेरा छा गया। बच्चों और महिलाओं की चीख-पुकार से अफरा-तफरी मच गई। काफी मशक्कत के बाद तकनीकी टीम ने मौके पर पहुंचकर दरवाजे मैनुअली खोले और यात्रियों को बाहर निकाला।
रात के करीब 10:30 बजे गया से हावड़ा आने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस हावड़ा स्टेशन पर पहुंची। पीए सिस्टम में घोषणा हुई कि दरवाजे दाहिनी ओर खुलेंगे। यात्री कतार में खड़े होकर गेट खुलने की प्रतीक्षा करने लगे, लेकिन 10 मिनट तक गेट नहीं खुले।
गेट नहीं खुलने पर यात्रियों ने इमरजेंसी बटन दबाया, पर कोई मदद नहीं मिली। पैंट्री कार स्टाफ से अनुरोध करने पर उन्होंने भी असमर्थता जताई। तभी कोच की लाइटें और एसी बंद हो गए। अंधेरे में बच्चों ने रोना और महिलाओं ने चिल्लाना शुरू कर दिया। पूरी ट्रेन में हड़कंप मच गया।
काफी देर बाद ट्रेन के पीए सिस्टम से घोषणा हुई कि “यात्रीगण घबराएं नहीं, दरवाजे मैनुअली खोले जाएंगे।” तकनीकी टीम ने मौके पर पहुंचकर दरवाजे मैनुअली खोले। इसके बाद यात्रियों ने राहत की सांस ली और स्टेशन पर अफरातफरी का माहौल शांत हुआ।
धनबाद से हावड़ा तक यात्रा करने वाले यात्री राणा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर घटना का वीडियो साझा किया और रेलवे प्रशासन पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि ट्रेन स्टाफ को इमरजेंसी प्रोटोकॉल की जानकारी क्यों नहीं दी जाती? किसी आपदा की स्थिति में यात्रियों की सुरक्षा कौन सुनिश्चित करेगा? इस पर पूर्व रेलवे ने जवाब दिया कि मामला संबंधित अधिकारी को फॉरवर्ड कर दिया गया है।
राणा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि ट्रेन के अंदर का माहौल किसी सामान्य पैसेंजर ट्रेन जैसा था। यात्री तेज आवाज में रील्स और वीडियो देख रहे थे, महिलाएं मोबाइल पर बातों में व्यस्त थीं। पैंट्री कार स्टाफ ने एसी कोच के दरवाजे खुले रखे, जिससे तापमान बढ़ गया। हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने की कोशिश की गई, लेकिन पूरा सफर नंबर व्यस्त ही बताता रहा।