नीलू रंजन। विदेशी निवेश की आड़ में FIPB में चल रहे फर्जीवाड़े का खुलासा शायद कभी न हो पाता यदि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सिलसिले में एयरसेल मैक्सिस डील की जांच शुरू नहीं होती। एयरसेल मैक्सिस डील में मनी लान्ड्रिंग की जांच कर रही ED टीम का ध्यान मैक्सिस से जुड़ी कंपनियों से तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से जुड़ी कंपनियों में पैसे आने पर गया। गहराई से जांच की गई तो FIPB क्लीयरेंस की आड़ में घूसखोरी की परतें खुलती चली गईं। जानिए पूरे घोटाले के बारे में -
180 करोड़ की जगह 3500 करोड़ का निवेश : INX मीडिया मामले में इंद्राणी मुखर्जी ने सरकारी गवाह बनकर पूरे खेल का भंडाफोड़ कर दिया। तभी से चिदंबरम की गिरफ्तारी तय मानी जा रही थी। ED ने पाया कि FIPB ने एयरसेल मैक्सिस में महज 180 करोड़ रुपए के निवेश की अनुमति दी थी। लेकिन असल में मैक्सिस ने कुल 3,500 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश किया था।
3500 फाइलों की जांच: 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले और एयरसेल मैक्सिस डील की जांच कर रहे ED के जांच अधिकारी राजेश्वर सिंह इसके बाद सतर्क हो गए। उन्होंने FIPB से पी. चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान दी गई सभी क्लीयरेंस से जुड़ी फाइलें तलब कीं। FIPB क्लीयरेंस से जुड़ी लगभग 3,500 फाइलों की पड़ताल के बाद कुल आठ मामलों में गड़बड़ी के पुख्ता सुबूत मिले। जांच अधिकारी के रूप में राजेश्वर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की और बाद में CBI को इन मामलों की जांच के लिए भेजा। इनमें से दो मामलों एयरसेल मैक्सिस डील और INX मीडिया में CBI ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की। छह अन्य मामले अब भी CBI के पास पड़े हुए हैं।
सरकार को ऐसे किया बायपास: एयरसेल मैक्सिस मामले की जांच के दौरान पता चला कि केवल 180 करोड़ का निवेश दिखाकर 3,500 करोड़ रुपए का निवेश इसलिए कर दिया गया ताकि मामला निवेश से संबंधित कैबिनेट कमेटी के पास नहीं जाए। असल में FIPB नियमों के अनुसार, वित्त मंत्री को 600 करोड़ रुपए तक के विदेश निवेश की मंजूरी देने का अधिकार था। इससे अधिक के विदेश निवेश पर कैबिनेट की मुहर जरूरी थी। जाहिर है 180 करोड़ का निवेश दिखाकर चिदंबरम ने खुद ही मंजूरी दे दी और चोर दरवाजे से 3,500 करोड़ रुपए का निवेश आने दिया गया।
जांच के दौरान ED को मैक्सिस की सहयोगी कंपनियों से कार्ति चिदंबरम से जुड़ी कंपनियों में धन आने के पुख्ता सुबूत मिले। मनी लांड्रिंग से बनाई गई कुछ संपत्तियों को ED ने जब्त भी किया। यही नहीं, मनी लांड्रिंग एडजुकेटिंग अथॉरिटी ने इन संपत्तियों की जब्ती को सही ठहराते हुए ED के सुबूतों पर मुहर भी लगा दी थी।
चिदंबरम ने कहा था, कार्ति के संपर्क में रहना: INX मीडिया मामले में भी केवल चार करोड़ रुपए निवेश का FIPB क्लीयरेंस मिलने के बाद इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी 305 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश ले आए। FIPB और आयकर विभाग के अधिकारियों ने इस गड़बड़ी को पकड़ भी लिया और कार्रवाई शुरू कर दी। लेकिन इस बीच इंद्राणी मुखर्जी ने कार्ति चिदंबरम के मार्फत पी. चिदंबरम से दिल्ली के हयात रेजेंसी में मुलाकात की।
सरकारी गवाह बनी इंद्राणी मुखर्जी ने मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज अपने बयान में बताया कि पी. चिंदबरम ने उनसे कार्ति के संपर्क में रहने का निर्देश दिया। इसके बाद कार्ति चिदंबरम से जुड़ी कंपनियों में पैसे दिए गए और पी. चिदंबरम ने INX मीडिया में FIPB क्लीयरेंस पर मुहर लगवा दी। इसके बाद बेटी की हत्या के आरोप में सलाखों के पीछे पहुंची इंद्राणी ने सरकार गवाह बनना सही समझा और चिदंबरम की पोल खोल दी।