
मल्टीमीडिया डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को असंवैधानिक करार दिया।
इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट तथा 24 हाई कोर्टों में जजों की नियुक्ति तथा तबादले की दो दशक से भी पुरानी "कॉलेजियम व्यवस्था" फिर से बहाल हो गई है। इसी के साथ जजों की नियुक्ति और तबादलों में सरकार भूमिका भी खत्म हो गई है।
यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने NJAC को रद किया
संसद ने 1993 से लागू कॉलेजियम व्यवस्था को बदलने के लिए पिछले साल एनजेएसी कानून पारित किया था। न्यायमूर्ति जेएस खेहर, जे. चेलमेश्वर, एमबी लोकुर, कुरियन जोसेफ तथा एके गोयल की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने एनजेएसी कानून को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया।
साथ ही कॉलेजियम व्यवस्था के बदले नई व्यवस्था के लिए 99वें संविधान संशोधन को भी असंवैधानिक करार दिया। पीठ ने उच्च न्यायपालिका में नियुक्ति के बाबद सुप्रीम कोर्ट के 1993 तथा 1998 के फैसलों को समीक्षा के लिए बड़ी पीठ को भेजने का सरकार का आग्रह भी ठुकरा दिया।
आइए समझते हैं कि आखिर यह कॉलेजियम प्रणाली क्या है: