आजादी मिलने के बाद भारत में स्थापित लोकतंत्र को सबसे ज्यादा शर्मिंदगी तब उठानी पड़ी, जब 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल थोप दिया। श्रीमती गांधी इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ दिए गए एक फैसले से काफी घबराई हुई थीं और उन पर इस्तीफा देने का नैतिक दबाव था।
वे खुद भी इस्तीफा देने को तैयार हो गई थीं, लेकिन उनके सबसे नजदीकी सिपहसालार उनके पुत्र संजय गांधी ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। बाद में स्थितियां इस तरह बदलीं कि इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र में जनता को मिले अधिकारों को निलंबित करते हुए इमरजेंसी घोषित कर दी।
कहा जाता है कि श्रीमती गांधी के सामने उनके दौर के दिग्गज कांग्रेसी भी ज्यादा कुछ बोल नहीं पाते थे। वे जो चाहती थीं, सब उसमें अपनी 'हां" मिलाते थे। ऐसे में आपातकाल के दौरान भी उनकी अपनी पार्टी के अधिकांश लोगों ने उनके इस निर्णय का समर्थन किया।
मगर कुछ लोग थे जो पूरे साहस के साथ इंदिरा का विरोध कर रहे थे। उनमें से एक महत्वपूर्ण चेहरा थीं जवाहरलाल नेहरू की बहन और इंदिरा गांधी की बुआ विजयलक्ष्मी पंडित। पंडित भले ही श्रीमती गांधी की रक्तसंबंधी थीं लेकिन वैचारिक मामलों में वे इंदिरा को गलत होने पर बेलाग टोक देती थीं। उन्होंने अपना यह कड़ा रुख तब भी बनाए रखा जब देश में श्रीमती गांधी की सत्ता को चुनौती देने का साहस किसी में नहीं था।
आपातकाल लागू होने के बाद एक दिन विजयलक्ष्मी पंडित इंदिरा गांधी से मिलने सीधे प्रधानमंत्री निवास पहुंचीं। वहां उन्होंने शिष्टाचार या रिश्तेदारी के चलते स्वीकार किया जाने वाला आतिथ्य भी नहीं स्वीकारा। उन्होंने सीधे इंदिरा से मुखातिब होते हुए उनके निर्णय की आलोचना की। उन्होंने तल्ख लहजे में कहा कि 'आपातकाल लगाना भारत के लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है और इसे तुरंत समाप्त करना चाहिए।'
यह सुनकर श्रीमती गांधी काफी नाराज हुई और उन्होंने भी प्रत्युत्तर में तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया था। ऐसे में उस समय देश की सबसे ताकतवर बुआ-भतीजी में हो रही इस बातचीत ने कहा-सुनी का रूप ले लिया। दोनों एक-दूसरे से नाराजगी जताते हुए आरोप लगाने लगीं और एक-दूसरे के विचार को गलत साबित करने लगीं।
मगर इस तल्ख बातचीत का कोई मतलब नहीं निकला और आपातकाल लगा रहा। बाद में इंदिरा के विपक्षी राजनीतिक दल जनता पार्टी ने विजयलक्ष्मी पंडित से अनुरोध किया कि वे इंदिरा के खिलाफ प्रचार करें, लेकिन पंडित ने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया।