नईदिल्ली। न्यू रोलॉजिकल डिस्ऑर्डर्स ऐसी कंडीशंस हैं जो दिमाग की तंत्रिकाओं (ब्रेन की नर्व्स) तथा स्पाइनल कॉर्ड पर बुरा असर डालती है। दुनिया भर में बड़े पैमाने पर लोग इन समस्याओं के शिकार होते। ये समस्याएं अधिकांशत: उम्र बढ़ने के साथ सामने आती हैं, लेकिन कई अन्य स्थितियों में कम उम्र में भी इनका असर हो सकता है। ऐसे में दवाओं के साथ ही अन्य थैरेपी भी मददगार हो सकती हैं। इन समस्याओं में अल्जाइमर्स, पार्किंसंस तथा मल्टीपल स्क्लेरोसिस आदि शामिल हैं।
ऐसे काम करती हैं दवाएं इन समस्याओं के कारण याददाश्त में दिक्कत होने के साथ ही नॉशिया, कमजोरी, सिरदर्द, थकान, दौरे पड़ना, बोलने में समस्या, बुखार, खांसी, सीने में दर्द आदि जैसे लक्षण उभरते हैं। इन लक्षणों पर काबू पाने के लिए न्यूरोलॉजिस्ट दवाएं देते हैं। ये दवाएं बीमारी के अनुसार अलग-अलग तरह से काम करती हैं।
जैसे न्यूरोपैथी के अंतर्गत नसों का प्रवाह बढ़ाकर, दिमाग के थक्के (लकवे) के मामले में खून पतला करके, साइटिका में नसों पर दबाव कम करके या बोटॉक्स द्वारा नसों का तनाव कम करके, आदि। ये दवाएं लंबे समय तक लेनी पड़ती हैं और हर अन्य दवा की तरह इनके भी साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसलिए इनके बारे में डॉक्टर से पूरी जानकारी जरूर लें।
जरूरी है दवाओं का प्रबंधन
सबसे पहली बात यह यही कि मरीज के परिजन या देखभाल करने वाले डॉक्टर से विस्तार से चर्चा करें। क्योंकि इन समस्यायों की वजह से जरूरी नहीं कि वे अपनी देखभाल खुद कर सकें। ऐसे में उनकी शारीरिक स्थिति क्या है? क्या वे पहले से कोई दवा ले रहे हैं? क्या उनके परिवार कोई बीमारी अनुवांशिक तौर पीढ़ियों से चली आ रही है? उनकी दिनचर्या और डाइट किस प्रकार की है? क्या कोई दवा शुरू करने के बाद कोई साइड इफेक्ट दे रही है? ये वे सारे सवाल हैं जिनके जवाव जानना आवश्यक हैं। साथ ही डॉक्टर से अन्य थैरेपी को लेकर भी जानकारी लें, जैसे फिजियोथैरेपी, म्यूजिक थैरेपी या आर्ट से जुड़े अन्य माध्यम। इसके बाद दवाओं को किस समय पर, कैसे और कब-कब देना हैं, यह जानें और इसे कहीं लिखकर रखें।
सावधानियां
ये दवाएं न केवल दूसरी औषधियों के साथ मिलकर विपरीत प्रक्रिया दे सकती हैं, बल्कि यदि इन्हें सही तरीके से न लिया जाए। तो कई बार ये हृदय जैसे महत्वपूर्ण अवयव पर भी गलत प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए इन दवाओं के संदर्भ में कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, जैसे-
मरीज यदि शुगर, बीपी, हृदय रोग, अस्थमा या किसी एलर्जी आदि की कोई दवा ले रहा हो, तो उनमें से कुछ दवाएं न्यूरो दवाओं के साथ रिएक्शन दे सकती हैं। साधारण विटामिन की गोली भी पार्किंसंस में दी जाने वाली दवा को निष्क्रिय कर सकती है। इसके कारण मरीज को इलाज के बावजूद लाभ नहीं होता। ह कई बार मरीज बिना जाने-समझे अपनी मर्जी से कोई दवा या सप्लिमेंट्स दुकान से या ऑनलाइन खरीदते हैं।
ये दवाएं भी न्यूरो दवाओं से रिएक्शन कर सकती हैं। ह कई न्यूरोलॉजी से संबंधित दवाओं का समय निश्चित होता है जैसे रक्त का गा ढापन कम करने की दवा शाम को लेते हैं, थक्का तोड़ने की दवा दोपहर को लेते हैं, मिर्गी की दवा हर दिन एक निश्चित समय पर ली जाती है और नसों के तनाव को दूर करने वाली दवा रात में ली जाती है। इन सभी बातों का ध्यान अवश्य रखें, बिना न्यूरोलॉजिस्ट की जानकारी/ सलाह के कोई दवा न लें। चाहे उस दवा से पूर्व में आपके परिचित को फायदा ही क्यों न हुआ हो। (डॉ आवेग भंडारी, न्यूरोलॉजिस्ट, इंदौर)