जब उड़ते विमान में ध्वस्त हो गया भारत का परमाणु स्वप्न
भाभा के निधन से भारत का परमाणु कार्यक्रम शिथिल पड़ गया, जो काम 60 के दशक में पूरा हो सकता था,वो 1974 में पूरा हुआ।
By
Edited By:
Publish Date: Wed, 20 Sep 2017 09:52:26 AM (IST)
Updated Date: Wed, 20 Sep 2017 10:03:31 AM (IST)

अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए दुनियाभर में अपने अभियान चलाती है और इस बात के लिए बदनाम है कि जो भी अमेरिका के हितों को प्रभावित करता या अमेरिका से आगे निकलता दिखता है, उसे यह एजेंसी हर तरह के हथकंडे अपनाकर रास्ते से हटा देती है। तो क्या भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक और महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था?
किस्सा कुछ यूं है कि भाभा के कुशल नेतृत्व में भारत ने 60 के दशक में ही परमाणु बम बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए थे। भाभा तब तेजी से भारतीय परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहे थे। वे दुनियाभर के परमाणु वैज्ञानिकों और देशों का ध्यान खींचने लगे थे। उन्होंने अपने सहयोगी वैज्ञानिकों की एक जबरदस्त टीम बनाई थी और ऐसा लगने लगा था कि उनके नेतृत्व में भारत जल्द ही कामयाब हो जाएगा ! मगर सन् 1966 में अचानक एक विमान दुर्घटना में उनकी असमय मृत्यु हो गई। वे एयर इंडिया के जिस बोइंग 707 विमान में सवार थे, वह मुंबई से अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क जा रहा था।
बीच में मॉन्ट ब्लां केनिकट विमान पहाड़ की चोटी से टकरा गया और होमी जहांगीर भाभा सहित सभी 177 लोग मारे गए। भाभा के निधन से भारत का परमाणु कार्यक्रम शिथिल पड़ गया और जो काम 60 के दशक में पूरा हो सकता था, अंततः वह पहले परमाणु परीक्षण के साथ 1974 में पूरा हुआ। यदि भाभा की असमय मृत्यु न होती तो संभव था कि भारत काफी पहले परमाणु परीक्षण कर विश्व-शक्ति बन जाता, क्योंकि प्रतिभावान भाभा ने 1944 में ही नाभिकीय ऊर्जा पर काम करना शुरू कर दिया था।
उनकी मृत्यु के दशकों बाद अमेरिका के पत्रकार ग्रेगरी डगलस और सीआईए के अफसर रॉबर्ट क्राओली के बीच हुई बातचीत में खुलासा हुआ कि अमेरिका भारत द्वारा 60 के दशक में परमाणु बम बनाना शुरू करने को अपने लिए समस्या मानता था।