Who is Rani Abbakka: जानें कौन थी रानी अब्बक्का, जिनका PM मोदी ने रैली में किया जिक्र
Who is Rani Abbakka रानी अब्बक्का का पूरा नाम अभया रानी अब्बक्का चौटा था, जिनका जन्म कर्नाटक के उल्लाल नगर के प्रसिद्ध चौटा घराने में
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Wed, 03 May 2023 12:53:15 PM (IST)
Updated Date: Wed, 03 May 2023 02:04:49 PM (IST)
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Who is Rani Abbakka। कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव होना है और उससे पहले चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी भी ताबड़तोड़ कई रैलियां कर रहे हैं। आज प्रधानमंत्री मोदी ने उडुपी में चुनावी रैली के दौरान रानी अब्बक्का के योगदान का जिक्र किया। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक रानी अब्बक्का को देश की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है -
देश की स्वतंत्रता का इतिहास काफी संघर्षपूर्ण रहा है, जिसमें पुरुषों के साथ कई महिलाओं ने भी अपना योगदान दिया है। आमतौर पर देश में रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवंती बाई या रानी दुर्गावती के शौर्य की चर्चा होती है लेकिन आज कर्नाटक की चुनावी रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने रानी अब्बक्का के ऐतिहासिक योगदान का जिक्र कर कर्नाटक के लोगों को अपना इतिहास कुरेदने के लिए मजबूर कर दिया।
जानें कौन थी अभया रानी अब्बक्का चौटा
रानी अब्बक्का का पूरा नाम अभया रानी अब्बक्का चौटा था, जिनका जन्म कर्नाटक के उल्लाल नगर के प्रसिद्ध चौटा घराने में हुआ था। रानी अब्बक्का ने उल्लाल नगर में साल 1525-1570 तक शासन किया था। आपको जानकर हैरानी होगी चौटा घटाने में मातृवंशीय परंपरा का पालन होता था। रानी अब्बक्का के परिवार में स्त्रियों का ओहदा प्रमुख होता था और परिवार में हमेशा महिलाएं ही प्रमुख होती थी। संपत्ति और शासन में भी उत्तराधिकार बेटों के स्थान पर बेटियों को दिया जाता था।
युद्ध कौशल में माहिर थी रानी अब्बक्का
रानी अब्बक्का के मामा तिरुमला राय ने उन्हें उल्लाल नगर रियासत की रानी घोषित किया था। रानी अब्बक्का युद्ध कौशल में माहिर थी और शासन व्यवस्था संभालने में भी निपुण थी। रानी अब्बक्का ने अपने राज्य में हिंदू, मुस्लिम, जैन सभी धर्मों के लोगों को बराबर सम्मान दिया था और उन्हें एक न्यायप्रिय शासक के रूप में देखा जाता था।
अग्निबाण उपयोग करने वाली आखिरी शख्स
ऐतिहासिक दस्तावेजों में युद्ध के दौरान ‘अग्निबाणों’ के उपयोग करने का कई बार जिक्र मिलता है। ऐसा माना जाता है कि रानी अब्बक्का ऐसी आखिरी शख्स थी, जिन्होंने युद्ध के दौरान अग्निबाण का उपयोग किया था। उनकी बहादुरी और रणकौशल के कारण ही उन्हें ‘अभया रानी’ भी कहा जाने लगा था।
पुर्तगालियों सेना में मचा दी थी तबाही
रानी अब्बक्का की शादी मंगलुरु की बंगा रियासत के राजा लक्षमप्पा अरसा के साथ हुई थी, लेकिन पति से मतभेद होने के कारण वह कुछ ही दिनों में उल्लाल नगर वापस आ गई और पति से अलग हो गई। ऐसे में जब उल्लाल नगर पर पुर्तगालियों ने हमला किया तो नाराज पति लक्षमप्पा ने पुर्तगालियों का ही साथ दिया। साल 1525 में पुर्तगालियों ने दक्षिण कन्नड़ के तट पर हमला किया और मैंगलुरु के बंदरगाह को तबाह कर दिया लेकिन रानी अब्बक्का के रणकौशल के कारण उल्लाल नगर पर विजय हासिल नहीं कर पाए थे। रानी अब्बक्का ने इस युद्ध में पुर्तगालियों को करारी शिकस्त दी थी।
कर्नाटक में हर साल मनाया जाता है वीर रानी अब्बक्का उत्सव
आज भी रानी अब्बक्का चौटा की याद में कर्नाटक के उल्लाल नगर में उत्सव मनाया जाता है और इस ‘वीर रानी अब्बक्का उत्सव’ में प्रतिष्ठित महिलाओं को ‘वीर रानी अब्बक्का प्रशस्ति’ पुरस्कार से नवाजा जाता है। पूरे कर्नाटक में रानी अब्बक्का का काफी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।